"पानी परात को हाथ घुयो नहिं नैनन के जल सो पग धोए।
1.
ऊपर लिखी हुई पक्ति को ध्यान से पढिया इसमें बात की बहुत
अधिक बढ़ा-चढ़ाकर चित्रित किया गया है। जब किसी बात को
इतना बढ़ा-चढ़ाकर प्रस्तुत किया जाता है तो वहाँ पर
अतिशयोक्ति अलंकार होता हैं | आप भी कविता में से एक
सतिशयोक्ति अलंकार का उदाहरण छाँटिए
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‘कै वह टूटी-सी छानी हती, कहै कंचन के अब धाम सुहावत।’
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