"पानी परात को हाथ हुयो नहिं , नैनन के जल सो पग धोए"|पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दो में कीजिए |
Answers
Answered by
5
Answer:
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।'' उक्त पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण का अपने परम मित्र सुदामा के प्रति अत्यंत प्रेम प्रकट हुआ है। वह अपने बालसखा की दयनीय दशा को देखकर अत्यंत दुखी हो जाते हैं। वह इतनी दुखी हो जाते हैं कि पानी की बजाए अपने आंसुओं से मित्र के पैरों को ढूंढने लगते हैं।
Answered by
1
Explanation:
पानी परात को हाथ छुयो नहिं, नैनन के जल सों पग धोए।'' उक्त पंक्ति में भगवान श्री कृष्ण का अपने परम मित्र सुदामा के प्रति अत्यंत प्रेम प्रकट हुआ है। वह अपने बालसखा की दयनीय दशा को देखकर अत्यंत दुखी हो जाते हैं। वह इतनी दुखी हो जाते हैं कि पानी की बजाए अपने आंसुओं से मित्र के पैरों को ढूंढने लगते हैं।
Similar questions