पानी परात को हाथ सुबह नहीं नैनन के जल सो पग धोए पंक्ति में वर्णित भाव का वर्णन अपने शब्दों में कीजिए और छोटा आंसर दीजिए
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कविता में नैनन के जल सोपग धोनी के लिए बताया गया है
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प्रस्तुत दोहे में यह कहा गया है कि जब सुदामा दीन-हीन अवस्था में कृष्ण के पास पहुँचे तो कृष्ण उन्हें देखकर व्यथित हो उठे। श्रीकृष्ण ने सुदामा के आगमन पर उनके पैरों को धोने के लिए परात में पानी मँगवाया परन्तु सुदामा की दुर्दशा देखकर श्रीकृष्ण को इतना कष्ट हुआ कि वे स्वयं रो पड़े और उनके आँसुओं से ही सुदामा के पैर धुल गए। अर्थात् परात में लाया गया जल व्यर्थ हो गया।
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