पाणी+अडवा+आणि+पाणी+जिरवा+या+विषयावर+निबंध+लिहा
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यह दक्षिण भारत के साहित्यिक इतिहास में एक नवीन युग का उषाकाल था। वह स्वयं विद्वान्, संगीतज्ञ एवं कवि था। वह अपने को कवियों, दार्शनिकों एवं धार्मिक शिक्षकों से घिरा रखना पसन्द करता था तथा उन्हें भूमि एवं धन के उदारतापूर्ण दानों से सम्मानित करता था। उसने अपनी सबसे महत्वपूर्ण कृति आमुक्तमाल्यदा तेलुगु में लिखी, जिसकी भूमिका में, उसने संस्कृत में लिखी अपनी पाँच पुस्तकों की चर्चा की है। यह पुस्तक केवल धार्मिक महत्व की ही नहीं, बल्कि कृष्णदेवराय के राज्यकाल के लिए विशेष ऐतिहासिक महत्व की है।
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