Hindi, asked by asloobahmad400, 5 months ago

पाणी ही तैं हिम भया, हिम हवै गया बिलाइ।
जो कुछ था सोई भया, अब कुछ कहा न जाइ।।14।।​

Answers

Answered by Rk4558
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Answer:

पाणी ही तैं हिम भया, हिम हवै गया बिलाइ।

जो कुछ था सोई भया, अब कुछ कहा न जाइ।।14।।

Explanation:

अर्थ:-पानी से ही तो हिम बना था और अंत मे पिघल कर वही फिर पानी बन गया!संत कबीर समझाना चाहते हैं कि ठीक उसी प्रकार ब्राह्म ही जगत् मे एकमात्र सत्ता है यहाँ-जो है सो है। उसके अलावा बाकी सभी रूप-रंग अस्थायी एंव क्षणभंगुर है। हम जहाँ से आए हैं,वही हमे चले जाना है,हम जिससे बने हैं अंतत: उसी तत्व मे विलीन हो जाना ही हमारी नियति है।यहाँ जो है- वही हमेशा रहता है सब उसी ब्रह्म के भिन्न-भिन्न रूप हैं। सर्वव्यापी ब्रह्म जब अपनी लीला का विस्तार करता है तब इस नामरूपात्मक जगत् की सृष्टि होती है। इसके आगे कुछ कहा ही नहीं जा सकता।

आत्मा का परमात्मा मे विलय ही कबीर की रहस्यवादी विचारधारा का निचोड़ हैं।

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Answered by kirankaurspireedu
4

Answer:

  1. पानी से ही तो हिम बना था और अंत मे पिघल कर वही फिर पानी बन गया!संत कबीर समझाना चाहते हैं कि ठीक उसी प्रकार ब्राह्म ही जगत् मे एकमात्र सत्ता है यहाँ-जो है सो है।
  2. उसके अलावा बाकी सभी रूप-रंग अस्थायी एंव क्षणभंगुर है। हम जहाँ से आए हैं,वही हमे चले जाना है,हम जिससे बने हैं अंतत: उसी तत्व मे विलीन हो जाना ही हमारी नियति है।
  3. यहाँ जो है- वही हमेशा रहता है सब उसी ब्रह्म के भिन्न-भिन्न रूप हैं।
  4. सर्वव्यापी ब्रह्म जब अपनी लीला का विस्तार करता है तब इस नामरूपात्मक जगत् की सृष्टि होती है।
  5. इसके आगे कुछ कहा ही नहीं जा सकता।

Explanation:

आत्मा का परमात्मा मे विलय ही कबीर की रहस्यवादी विचारधारा का निचोड़ हैं।

#SPJ2

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