पुनर्जागरण से आप क्या समझते हैं पुनर्जागरण के कारणों तथा प्रभाव का वर्णन कीजिए
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पुनर्जागरण का अर्थ (punarjagran ka arth)
पुनर्जागरण का शाब्दिक अर्थ होता है ", फिर से जगाना।" पं. नेहरू के शब्दों मे पुनर्जागरण का अर्थ है " विद्या, कला, विज्ञान, साहित्य और यूरोपीय भाषाओं का विकास।"
मध्यकाल मे प्राचीन आर्दश एवं जीवन मूल्यों को भूला दिया गया था या उनको रूढ़ियों, अन्धविश्वासों, धार्मिक और राजनैतिक नेताओं के स्वार्थो की परतों ने ढँक लिया था, जिसे आधुनिक काल मे कुरेदकर झकझोर दिया गया। जिससे प्राचीन आदर्शो का स्मरण, वैज्ञानिक चिंतन व उपयोगिता का स्मरण हुआ तथा उन्होंने नवीन रूप धारण किया। अतः इसे पुनर्जागरण कहा गया। कुछ विद्वानों ने इस सांस्कृतिक पुनरोत्थान भी कहा है।
पुनर्जागरण के कारण (punarjagran ke karan)
यूरोप मे पुनर्जागरण एक आक्स्मिक घटना नही थी। मानवीय,जीवन के सभी क्षेत्रों मे धीरे-धीरे होने वाली विकास की प्रक्रिया का परिणाम ही पुनर्जागरण की पृष्ठभूमि थी। यूरोप मे आधुनिक मे पुनर्जागरण के निम्म कारण थे--
1. कुस्तुनतुनिया का पतन
पन्द्रहवीं शताब्दी की महत्वपूर्ण घटना 1453 मे कुस्तुनतुनिया के रोमन साम्राज्य के पतन से सम्पूर्ण यूरोप मे हलचल मच गयी। तुर्को ने कुस्तुनतुनिया पर कब्जा कर लिया। तुर्कों के अत्याचारों से बचने के लिए वहां पर बसे हुए ग्रीक विद्वानों, साहित्यकारों तथा कलाकारो ने भागकर इटली मे शरण ले ली। वहां पहुंचर विद्वानों का यूरोप के अन्य विद्वानों से हुआ। इस सम्पर्क के परिणामस्वरूप यूरोप व उसके अन्य आसपास के देशो मे पुनर्जागरण की धारा अत्यधिक वेग के साथ बढ़ने लगी।
2. धर्मयुद्धो का प्रभाव
मध्यकाल मे ईसाइयों एवं मुसलमानों मे अनेक धार्मिक संघर्ष हुए। दोनों मे सांस्कृतियो का आदान-प्रदान भी हुआ। मुस्लिम विद्वानों के स्वतंत्र विचारो का प्रभाव ईसाइयों पर पड़ा। अरबो के अंकगणित तथा बीजगणित आदि विषय यूरोप मे प्रचलित हुए। मुसलमानों के आक्रमणों का सामाना करने के लिए यूरोप के राष्ट्रो मे आपसी सम्बन्ध घनिष्ठ होने लगे। यूरोप मे रोमन पोंप तथा सम्राटों के संघर्षों के कारण धीरे-धीरे लोगों की पोप तथा धर्म पर श्रद्धा कम होने लगी। इसी के परिणामस्वरूप धर्म सुधार आन्दोलन ने जोर पकड़ लिया।
3. अंतर्राष्ट्रीय व्यापार
अंतर्राष्ट्रीय व्यापार ने भी पुनर्जागरण के उदय मे महत्वपूर्ण योगदान दिया। यूरोप के व्यापारी चीन और भारत तथा अन्य देशों मे पहुंचने लगे। व्यापार की उन्नति से यूरोप का व्यापारी-वर्ग समृद्ध हो गया एवं व्यापार एक देश से दूसरे देश मे प्रगति कर बैठा।
4. नये वैज्ञानिक अविष्कार
व्यापार के विकास से अधिक धन एकत्र हुआ। अतिशेष धन नये अविष्कारो को क्रियान्वित करने मे सहायक हुआ। पुनर्जागरण के लिए आवश्यक था कि नए विचारों का प्रचार-प्रसार हो। इसके लिए कागज तथा मुद्रणालय के अविष्कार ने सबसे महत्वपूर्ण कार्य किया।
5. नवीन भौगोलिक खोजों का प्रभाव
नवीन भौगोलिक खोजो मे यूरोप के साहसी नविकों मे से पुर्तगाल, स्पेन, फ्रांस तथा हालैण्ड के नाविकों ने अमेरिका, अफ्रीका, भारत, आस्ट्रेलिया आदि देशो को जाने के मार्गों का पता लगाया। इससे व्यापार वृद्धि के साथ उपनिवेश स्थापना का कार्य हुआ। इन देशों मे यूरोप के धर्म एवं संस्कृति के प्रसार का मौका मिला।
6. सामंतवाद का पतन
सामंतवाद का पतन पुनर्जागरण का महत्वपूर्ण कारण था। सामंतवाद के रहते हुए पुनर्जागरण के बारे मे कल्पना भी नही की जा सकती है। सामंतवाद के पतन के कारण लोगों को स्वतंत्र चिन्तन करने तथा उद्योग धंधे, व्यापार, कला और साहित्य आदि के विकास के समुचित अवसरों की प्राप्ति हुई।
7. मानववादी दृष्टिकोण का विकास
ज्ञान के नये क्षेत्रों के विकास ने मानववादी दृष्टिकोण को विकसित किया। मानववादी दृष्टिकोण के विचारकों मे डच लेखक " एरासमस " ने ईसाई धर्म की कमजोरियों को जनता के सामने रखा। उसने आम इंसान को महत्व दिया।
8. औपनिवेशक विस्तार
पुनर्जागरण के कारण धीरे-धीरे यूरोप के राज्यों मे औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना की भावना जाग्रत हुई। इससे यूरोपीय सभ्यता तथा संस्कृति का प्रसार अन्य राष्ट्रों मे होने लगा।
उत्तर:
फ्रांसीसी शब्द "पुनर्जागरण" का अर्थ है "पुनर्जन्म।" यह यूरोपीय इतिहास में एक ऐसे समय की ओर इशारा करता है जब शास्त्रीय युग का ज्ञान और ज्ञान फला-फूला।
व्याख्या:
पुनर्जागरण "पुनर्जन्म" या "नया जन्म" के लिए लैटिन है। एक ऐतिहासिक दृष्टिकोण से, "पुनर्जागरण" शब्द का तात्पर्य उस आराधना, उत्साह और जिज्ञासा से है जो पंद्रहवीं शताब्दी ईस्वी में लोगों को प्राचीन ग्रीस और रोम की कला और साहित्य के लिए थी। मध्य युग के दौरान चर्च ने शिक्षा को नियंत्रित किया और समाज को प्रभावित किया। जब मानव मन उस पट्टी से मुक्त होने के लिए तरस गया और ताजा रोशनी का स्वागत किया। पुनर्जागरण हुआ।
पुनर्जागरण के कारण:
1) "पुनर्जागरण" के कई कारण थे। इसकी मूल उत्पत्ति कांस्टेंटिनोपल का पतन था। यह शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य करता था। कई यूनानी विद्वान वहां रहते थे, हालांकि यह ईसाई नियंत्रण में था। जनता को ग्रीक भाषा और साहित्य प्रदान करके वे प्रसिद्धि के शिखर पर पहुंचे।
ओटोमन साम्राज्य के शासक मुहम्मद द्वितीय ने 1453 ईस्वी में कांस्टेंटिनोपल पर आक्रमण किया और उसे नष्ट कर दिया। ग्रीक बुद्धिजीवी डर के कारण कॉन्स्टेंटिनोपल से भाग गए और रोम, मिलान, नेपल्स, सिसिली और वेनेटो सहित कई इतालवी शहरों में बस गए। इतालवी लोगों को गणित, इतिहास, भूगोल, दर्शन, खगोल विज्ञान और चिकित्सा सहित विभिन्न विषयों में निर्देश दिया गया था। इससे पुनर्जागरण का जन्म हुआ।
2) प्रिंटिंग प्रेस के आविष्कार से पुनर्जागरण हुआ। जर्मनी के जॉन गुटेनबर्ग ने प्रिंटिंग प्रेस, पहली मुद्रित पुस्तक और वर्ष 145 ईस्वी में पहला मुद्रित पत्र बनाया। यह उपकरण विलियम कैक्सटन की बदौलत 1477 में इंग्लैंड पहुंचा। समय बीतने के साथ इटली, फ्रांस, बेल्जियम और अन्य यूरोपीय देशों में प्रिंटिंग प्रेस विकसित होने लगे। इसने पुस्तकों को मुद्रित करना बहुत सरल और त्वरित बना दिया। किताबें लोगों के लिए आसानी से उपलब्ध थीं, जो उनका इस्तेमाल बहुत कुछ सीखने के लिए करते थे। इसने पुनर्जागरण को बढ़ावा दिया।
3) तीसरा, बहुत से राजाओं, कुलीनों और व्यवसायियों ने नवीन लेखन और दृश्य कलाओं का समर्थन किया। फ्रांस के राजा फ्रांसिस प्रथम, इंग्लैंड के राजा हेनरी अष्टम, स्पेन के राजा चार्ल्स पंचम और पोलैंड के राजा सिगिस्मंड प्रथम ने कई लोगों को अपने दरबार में नए विचारों के साथ आमंत्रित किया और उन्हें संरक्षण दिया। कई कलाकारों को अपने दरबार में आमंत्रित करना और अपने महल को ताजा चित्रों से सजाना, फ्लोरेंस के राजा लोरोंजो-डी-मेडिसि। इन सम्राटों के प्रगतिशील दर्शन ने पुनर्जागरण को प्रेरित किया।
पुनर्जागरण के प्रभाव:
1) इटली पुनर्जागरण साहित्यिक आंदोलन का जन्मस्थान था। दांते की "डिवाइन कॉमेडी" इस दिशा में पहला उल्लेखनीय काम था। इतालवी भाषा की यह किताब औसत पाठक को ध्यान में रखकर लिखी गई है। वह पूरी किताब में दूसरी दुनिया, नर्क और स्वर्ग की चर्चा करता है। इसने अपने राष्ट्र के प्रति प्रेम, प्रकृति के प्रति प्रेम और व्यक्ति के महत्व जैसे नए विचारों को बढ़ावा दिया।
2) पुनर्जागरण काल की कला मध्ययुगीन परंपरा से साहसी विराम को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह थी। पुनर्जागरण से पहले अधिकांश मध्य-युग की कला मूल रूप से ईसाई थी। धर्म और कला का घनिष्ठ संबंध है। चर्च ने कलाकारों द्वारा चित्रित भिक्षुओं, बिशपों और पुजारियों की कार्रवाई और विचारों की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगा दिया था।
3) पुनर्जागरण की भावना का इतालवी वास्तुकला पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा। इस युग के वास्तुकारों ने शास्त्रीय ग्रीस और रोम के तरीके और डिजाइन में कई चर्चों, महलों और विशाल संरचनाओं का निर्माण किया। गिरजाघरों और महलों में पाए जाने वाले नुकीले मेहराबों के स्थान पर गोल मेहराब, गुम्बद या यूनानी मंदिरों की स्वच्छ रेखाओं का प्रयोग किया जाता था।
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