“पाप का अन्न"
पाठ से क्या शिक्षा मिलती है? (5)
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उस पाप का प्रायश्चित करने के लिए उसने हरिद्वार आकर स्नान और भण्डारा किया था। महात्माजी ने इस बात को सुनकर कहा- ''यही वह नौजवान लड़की है, जो तुम्हें दिखाई देती है। तुमने जो कुछ खाया वह पुण्य भाव से दिया हुआ दान नहीं था; परन्तु पाप की कमाई में तुम्हें भागीदार बनाया। ... यह है पाप का अन्न खाने का परिणाम!
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