Hindi, asked by sureshanchethana3647, 2 months ago

पाप का मल
अमिमान
धर्म का मूल
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Answers

Answered by KingAbhaySSR100
4

Answer:

❤✌दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान,

तुलसी दया न छोडिये जब तक घट में प्राण❤☺

Ans- तुलसीदास जी ने कहा की धर्म दया भावना से उत्पन्न होती और अभिमान तो केवल पाप को ही जन्म देता हैं, मनुष्य के शरीर में जब तक प्राण हैं तब तक दया भावना कभी नहीं छोड़नी चाहिए।

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