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प्रशंसा
कभी-कभी शादी या किसी उत्सव की दावत में खाना अधिक बच जाता है। उसे फेंकना भी पड़ता
है। लेकिन आज भी हमारे देश में ऐसे लोग हैं जिन्हें तीन वक्त का भोजन नहीं मिलता। आज कुछ ऐसी
भी संस्थाएँ हैं जो बचे हुए भोजन इकट्ठा कर ज़रूरतमंद लोगों में बाँटती हैं। उनके कार्य के महत्व की
प्रशंसा करते हुए दस पंक्तियाँ लिखिए।
C.W
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जयपुर की कीर्ति गुप्ता याद करती हैं,“कुछ दिनों पहले, मैं अपने मित्र के यहाँ एक आयोजन में गयी थी। आयोजन भव्य था और उनलोगों ने पूरी मेहनत की थी कि मेहमानों को किसी प्रकार की कोई शिकायत न हो। मैंने देखा, वहां करीब ३० प्रकार के व्यंजन रखे गए थे। जब आयोजन समाप्त हुआ तो भारी मात्र में बचा हुआ भोजन कूड़ेदान में डाल दिया गया। वे चाहते तो थे की बचा हुआ भोजन किसी ज़रूरतमंद को दान कर दिया जाए, पर कहाँ और कैसे, ये उन्हें पता नहीं था।”
कीर्ति गुप्ता जैसे कई लोग हैं, जो विवाह या अन्य किसी समारोह में बचे हुए खाने को देख कर चिंतित तो होते हैं, परन्तु उन्हें ये नहीं पता होता की उस भोजन का किया क्या जाए।
अंकित क्वात्रा भी उनमे से एक थे, जिसने एक विवाह समारोह में करीब १००० लोगों का खाना नष्ट होते हुए देखा। वे चिंतित तो हुए परन्तु उन्होंने इसे नज़रंदाज़ नहीं किया और तभी उनके मन में एक विचार आया।
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helloooooooooo..........