Hindi, asked by 2543139, 6 hours ago

प्र.1 निम्नलिखित अपठित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए ।

इच्छाओं की गुलामी सबसे बुरी मानी गई है। ऐसे गुलामों के लिए विचारों की उच्चता, अच्छी बातों, अच्छे काम, किसी का कोई महत्व नहीं है। अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मनुष्य कई बार सामान्य मनुष्यता के नियमों का भी पालन नहीं करता। वहाँ झूठी, मक्कारी, फरेब और भ्रष्टाचार का सहारा लेने पर विवश हो जाता है। वह हमेशा अपने निन्यानवे को सौ मैं बदलने की जुगत में रहता है इसी को निन्यानवे का फेर भी कहते हैं। असंतुष्ट व्यक्ति की आत्मा भी अशुद्ध होती है, वह हमेशा मानसिक तनाव में रहता है। सब कुछ होते हुए भी वह सदैव परेशान रहता है। संतोष आदमी को आदमी के साथ जोड़ने का काम करता है। मनुष्य जब अपनी इच्छाओं से संतुष्ट हो जाता है, तब वह दूसरों के दुख-सुख में भागीदार बन सकता है। भारतीय संस्कृति में संतोष को बहुत महत्व दिया गया है। आत्मसंतोष को जीवन का आधार कहा गया है। संसार में धन के तो कई प्रकार हैं, परम सत्य यही स्वीकारा गया है कि, 'जब आवे संतोष धन सब धन धूरि समान। संतोष से मानसिक शांति मिलती है। संसार में दुखों का मूल कारण मनुष्य की इच्छाएँ हैं। यदि मन को संयमित कर लिया जाए तो विश्व का समस्त ऐश्वर्य हमारे पास होगा।

ख) इच्छा के गुलामों के लिए किस बात का कोई महत्व नहीं है ?
ग) गद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा का अर्थ लिखकर वाक्य में प्रयोग कीजिए है



घ) असंतुष्ट व्यक्ति की आत्मा कैसी होती है?

ड.) प्रस्तुत गद्यांश का उचित शीर्षक दीजिए ।​

Answers

Answered by ashok980123
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Answer:

ख) इच्छा के गुलामों के लिए विचारों की उच्चता, अच्छी बातों, अच्छे काम किसी का भी कोई महत्व नहीं है।

ग) गद्यांश में प्रयुक्त मुहावरा है ' निन्यानवे के फेर में पड़ना'-धन बढ़ाने के धुन में लगे रहना।

वाक्य में प्रयोग-जब से आनंद ने नया व्यापार किया है तब से वह निन्यानवे के फेर में पड़ा गया है, उसे तो किसी से बात करने की फुर्सत तक नहीं है।

घ) असंतुष्ट व्यक्ति की आत्मा अशुद्ध होती है।

ड़) प्रस्तुत गद्यांश के कई उचित शीर्षक हो सकते हैं जैसे-

मनुष्य की इच्छाएँ या संतोष।

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