प्र० 1 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर अपने शब्दों में लिखिए-
किसी ने ठीक ही कहा है कि समय धन के समान है। अतः सावधानी और
सतर्कता से हम अपने धन का हिसाब तो रखे पर समय के हिसाब में थोड़ी
सावधानी ज्यादा ही बरतें। कारण धन आता-जाता रहता है, किन्तु गया समय
वापस नहीं आता। समय का बजट बनाना जिसने सीख लिया, उसने जीने की
कला सीख ली, सुख और समृद्धि के भंडार की कुंजी प्राप्त कर ली।
समय विभाजन के अनुसार काम करने पर हम देखेंगे कि हमारे जीवन की
व्यस्तता के बीच भी कितनी निश्चिन्तता आ जाती है। सभी काम सुचारू रूप से
निश्चित समय पर अनायास होते चलते हैं। कसरत के लिए समय निकल आता
है, आध्यात्मिक मनन-चिन्तन और पठन-पाठन के लिए भी। सही नहीं अपने
व्यवसाय में भी हम पहले से कहीं अधिक कुशल, कहीं अधिक सक्षम बन जाते
हैं। सारी उतावली, सारी परेशानी न जाने कहाँ काफूर हो जाती है। हम जीवन
में क्या चाहते हैं? सुख, समृद्धि, शान्ति यही ना। किन्तु ये चीजें तभी मिल
सकती हैं जब हम इनको पाने का निरन्तर प्रयास करते चलें। यदि हम व्यायाम
के लिए, अध्ययन के लिए, चिन्तन के लिए समय नहीं निकाल पायेंगे तो हमारा
तन-मन कैसे स्वस्थ और सबल बन सकेगा। अतः जीवन को सही अर्थों में
सफल बनाने के लिए यह आवश्यक है कि हम इन सभी की साधना में रोज
कुछ न कुछ समय लगाएं और यह तभी संभव हो सकेगा जब हम अपने समय
का ठीक विभाजन कर ले। वस्तुतः जो समय की कद्र करना सीख गया वह
सफलता का रहस्य भी समझ गया। हम अपने सुख, अपनी समृद्धि के लिए
अपना समय-विभाजन जितना शीघ्र कर लें उतना ही अच्छा होगा क्योंकि किसी
मनीषी ने पहले ही चेतावनी दे रखी है कि समय और लहरें किसी की प्रतीक्षा में
खड़ी नहीं रहती।
उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए।
ख समय पर सभी काम करने से क्या होता है?
ग हमें अपने तन-मन को स्वस्थ बनाने के लिए क्या करना चाहिए?
घ सफलता का रहस्य किसे आसानी से समझ आ जाता है?
समय की तुलना लहरों से क्यों की गयी है?
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