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प्र.1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़िए और पूछे गए प्रश्नों के
उत्तर दीजिए
भारतीय धर्मनीति के प्रणेता नैतिक मूल्यों के प्रति अधिक जागरूक थे। उनकी
यह धारणा थी। उनकी यह धारणा थी कि नैतिक मूल्यों का दृढ़ता से पालन
किए बिना किसी भी समाज की आर्थिक व सामाजिक प्रगति की नीतियाँ
प्रभावी नहीं हो सकतीं । उन्होंने उच्च कोटि की जीवन प्रणाली के निर्माण के
लिए वेद की एक ऋचा के आधार पर कहा कि उत्कृष्ट जीवन प्रणाली मनुष्य
की विवेक-बुद्धि से तभी निर्मित होनी संभव है, जब लोगों के संकल्प,
निश्चय, अभिप्राय समान हो, सबके हृदय में समानता की भावना जाग्रत हो
और सब लोग पारस्परिक सहयोग से मनोकूल सभी कार्य करें ।
चरित्र मानव समुदाय की अमूल्य निधि है । इसके अभाव में व्यक्ति
पशुवत व्यवहार करने लगता है। आधार, निद्रा, भय आदि की वृत्ति सभी
जीवों में विद्यमान रहती है ।
प्रश्न:
1.
2.
हमारे धर्मनीतिकार नैतिक मूल्यों के प्रति विशेष जागरूक क्यों थे?
चरित्र मानव जीवन की अमूल्य निधि कैसे है?
प्रस्तुत गद्यांश में किन पर नियंत्रण रखने की बात कही गई है?
विवेक बुद्धि का क्या आशय है?
3.
4.
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Explanation:
प्रश्न 1. हमारे धर्मनितीकार नौतिक मूल्यों के प्रति विशेष जगरूक थे क्योंकि उनकी यह धारणा थी की नैतिक मुल्यों का दृढतापूर्वक पालन किए बिना किसी भी समाज की आथिर्क व सामाजिक प्रगति की नितियाँ प्रभावि नहीं हो सकती ।
प्रश्न 2. चरित्र मानव जीवन की अमुल्य निधी है उत्कृष्ट जीवन प्रणाली मनुष्य के विवेक - बुद्धि से तभी निमित्त होनी समभ है जब लोगों के संकल्प,निश्चय,अभिप्रा समान हो , सबके हृदय मे समानता की भावना जाग्रत हो और सब लोग पारस्परिक सहयोग से मनोकूल सभी कार्य करें ।
प्रश्न 3. प्रस्तुत गघांश मे आधार ,निद्रा ,भय आदि वृतियों मे नियंत्रण रखने की बात की गई है ।
प्रश्न 4. विवेक - बुद्धि से तभी निमित्त होनी समभ है जब लोगों के संकल्प,निश्चय,अभिप्रा समान हो ।
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