Hindi, asked by ankitbaghele12, 9 hours ago

प्र. 1. निम्नलिखित पद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए

दीपक दीया तेल भरि बाति दई अघट्ट

पूरा किया बिसाहुला, बहुरि न आयो हट्ट।।।

जाका गुरु भी अचला, चेला खरा निरंच

अंधे अंधा ठेलिया दून्यू कूप पडंत ||

Answers

Answered by shishir303
5

सप्रसंग व्याख्या : यह दोनों दोहे कबीर द्वारा रचित दोहे हैं। इन दोनों में माध्यम से प्रथम दोहे में कवि ने गुरु द्वारा प्राप्त ज्ञान की महिमा का वर्णन किया है तथा दूसरे दोहे में कबीर ने अज्ञानी गुरु तथा अज्ञानी शिष्य के दुष्परिणाम को बताया है।

दीपक दीया तेल भरि बाति दई अघट्ट  

पूरा किया बिसाहुला, बहुरि न आयो हट्ट।

कबीरदास जी कहते हैं कि सतगुरु ने मेरे अंदर ज्ञान रूपी दीपक जलाकर उसमें भक्ति रूपी तेल भर दिया है और इस दीपक में प्रभु ने भक्ति की ऐसी बाती डाल दी है, जो कभी नहीं घटती। संसार रूपी इस बाजार में मैंने अर्थात साधक रूपी व्यापारी ने अपनी खरीद-फरोख्त का काम पूरा कर लिया है, अब मुझे पुनः इस बाजार में आने की जरूरत नहीं है। अर्थात कबीर दास जी का कहने का तात्पर्य यह है कि गुरु ने उनके अंदर ज्ञान की ज्योति जला दी है, अब उन्हें इस संसार में बार-बार आने की जरूरत नहीं।

जाका गुरु भी अचला, चेला खरा निरंच  

अंधे अंधा ठेलिया दून्यू कूप पडंत।।

कबीरदास जी कहते हैं कि जिस जो गुरु अज्ञानी होता है, उसका शिष्य भी अज्ञानी ही होता है और यह दोनों अज्ञानी एक दूसरे के अज्ञान को आगे ठेलते रहते हैं, और धीरे-धीरे अज्ञानता के एक अंधे कुएं की ओर बढ़ते जाते हैं। अंत में वे उस अज्ञानता के कुएं में ही जाकर गिर पड़ते हैं।

○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○

Answered by ap5391007
0

Guru Ne Bhakt ko kis Prakar ka Deepak Diya Hai

Similar questions