प्र०1- 'रहिमन फाटे दूध को मथे न माखन होय' का अर्थ है कि - *
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रहिमन फाटे दूध को, मथे न माखन होय. » अर्थ : मनुष्य को सोचसमझ कर व्यवहार करना चाहिए,क्योंकि किसी कारणवश यदि बात बिगड़ जाती है तो फिर उसे बनाना कठिन होता है, जैसे यदि एकबार दूध फट गया तो लाख कोशिश करने पर भी उसे मथ कर मक्खन नहीं निकाला जा सकेगा.
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