प्र .1 सप्रसंग व्याख्या कीजिए 1. अरे इन दोहुन राह न पाई । हिंदू अपनी करें बढाई गामर हुवन न देई । बेस्या के पायन - तर सोवे यह देखो हिन्दुआई । औलिया गुर्गी - गुर्गा खाई । खाला केरी बेटी ब्याहै धरहि में करै सगाई । मुसलमान के पीर बाहर से इक मुर्दा लाए धोय - णाय चढवाई । सब सखियाँ मिलि जेंवन बैठी घर - भर करै बडाई । हिन्दुन की हिंदुवाई देखो तुरकन की तुरकाई । कहै कबीर सुनों भाई साधौ कौन राह है जाई ।।
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oh no I don't know if you have
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an initiative of India Today group
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