प्र 10 नीचे दिए संज्ञा शब्दों के विशेषण बनाइये।
अक्षर-
प्रवाह-
रूप-
सत्य-
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सरल शब्दों में - जो शब्द विशेषता बताते हैं, उन्हें विशेषण कहते हैं।
विशेषण लगने के बाद संज्ञा का अर्थ सिमित हो जाता है। इसका अर्थ यह है कि विशेषण रहित संज्ञा से जिस वस्तु का बोध होता है, विशेषण लगने पर उसका अर्थ सिमित हो जाता है। जैसे- 'घोड़ा', संज्ञा से घोड़ा-जाति के सभी प्राणियों का बोध होता है, पर 'काला घोड़ा' कहने से केवल काले घोड़े का बोध होता है, सभी तरह के घोड़ों का नहीं। यहाँ 'काला' विशेषण से 'घोड़ा' संज्ञा की व्याप्ति मर्यादित (सिमित) हो गयी है।
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