प्र.10 प्रातः काल उठकर ईश्वर से स्वास्थ जीवन की
कामना कैसे करेंगे ? कोई दो काव्य पत्तियां
लिखकर बताए।
Answers
सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करने, सैर करने तथा योगाभ्यास करने से केवल शरीर ही स्वस्थ नहीं रहता बल्कि आलस्य दूर होता है, व्यक्ति चुस्त रहता है । अच्छा स्वास्थ्य सबसे बड़ी पूंजी है । एक बार यदि स्वास्थ्य बिगड़ जाए तो पुन: उसी अवस्था में पहुंचना कठिन हो जाता है । धन खो जाए तो पुन: मेहनत करके पाया जा सकता है परन्तु स्वास्थ्य बिगड़ने पर उसे पुन: प्राप्त करना कठिन है । यदि स्वास्थ्य बिगड़ जाए तो वह व्यक्ति न तो अपना कोई भी कार्य सही तरीके से कर सकता है न ही जीवन का आनंद उठा सकता है । इसलिए शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए प्रातःकाल भ्रमण करना अति आवश्यक है । प्रातःकाल समय बहुत ही सुहावना होता है, ठंडी-ठंडी हवा चलती है, चिड़िया चहचहा रही होती है । प्रकृति में नई चेतना का संचार होता है । हमारी संस्कृति में प्रातःकाल को ब्रह्ममुहूर्त के नाम से पुकारा जाता था । प्रातःकाल ही अर्थात् बहा मुहूर्त में ही ऋषि मुनि यज्ञ .का आयोजन करते थे । प्रतिदिन सूर्य उदय होने से पहले प्रातःकाल भ्रमण करना चाहिए । प्रातःकाल का भ्रमण नि:शुल्क औषधि’ है जिसका प्रयोग धनी, निर्धन सभी समान रूप से प्रयोग कर सकते हैं और वे अपने जीवन को स्वस्थ एवं निरोगी बना सकते हैं । प्रातःकाल भ्रमण से शरीर .में नई स्कूर्ति आ जाती है । मस्तिष्क को शक्ति एवं शांति मिलती है । प्रातःकाल प्रत्येक आयु के व्यक्ति के लिए लाभकारी है । प्रातःकाल भ्रमण करने .से व्यक्ति पर जल्दी से बुढ़ापा आक्रमण नहीं करता । प्रातःकाल भ्रमण करने वाला व्यक्ति तनावमुक्त रहता है । इसलिए प्रातःकाल भ्रमण शारीरिक विकास के लिए ही उपयोगी नहीं है बल्कि मानसिक विकास में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है । स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क का निवास होता है । प्रातःकाल भ्रमण करने से ही शरीर स्वस्थ रहेगा और मस्तिष्क तेज होगा । प्रत्येक व्यक्ति को अपनी सर्मथता के अनुसार ही व्यायाम एवं भ्रमण करना चाहिए । प्रातःकाल के समय प्रकृति के अनूठे दृश्य को देखने का सौभाग्य प्राप्त होता है । प्रात .काल घास पर पड़ी ओस, पूर्व में उदय होते सूर्य की लालिमा, पक्षियों की चहचहाहट आदि मन को आनंदित करती हैं । प्रातःकाल की शुद्ध वायु हमारे फेफड़ों के लिए बहुत लाभदायक होती है । इससे हमारे शरीर में रक्त-संचार व्यवस्था ठीक रहती है । प्रात: भ्रमण करने से मनुष्य सारा दिन तरो-ताजा महसूस करता है । उसे किसी प्रकार की थकावट अनुभव नहीं होती । डॉक्टर भी सभी को यही सलाह देते हैं कि प्रतिदिन दो:तीन किलोमीटर प्रात: भ्रमण अवश्य करना चाहिए । प्रात: भ्रमण का एक लाभ और भी होता है कि हम अपने व्यस्तता भरे जीवन में दूसरों से मिल नहीं पाते तो प्रात:काल भ्रमण के समय उनसे भी मुलाकात हो जाती है । प्रात:काल भ्रमण का अभ्यास प्रत्येक मनुष्य को अवश्य डालना चाहिए । इसमें कोई धन व्यय नहीं होता । न ही शारीरिक ऊर्जा समाप्त होती है । आज के व्यस्त जीवन में प्रात:काल भ्रमण ऐसा व्यायाम है जिसे प्रत्येक व्यक्ति अपना सकता है । मनुष्य को अपना शरीर निरोगी एवं स्वस्थ रखना चाहिए और इसके लिए प्रात:काल भ्रमण करना चाहिए । यह सबसे सरल एवं सस्ता व्यायाम है ।
Answer:
व्यायाम के मलए प्रात: काल सवयथा------है। श्रतुतसममभन्नाथकय शब्ि सही शब्ि ववकल्प में से
चुनकर मलणखए) ।
(क) उपयतुत (ख) उपयतुय त (ग) यतुत (घ) उक्तत
Explanation: