प्र. 11 प्रदत्त चित्रं ध्यानेन दृष्टवा मञ्जुषात: पदानि चित्वा पञ्च संस्कृतवाक्यानि रचयत
1x5-5
मञ्जुषा - वर्षाकाल:, अस्ति, बालकाः, बालिकाः, च, क्रीडन्ति, कृष्णमेघाः, आकाश:,
वृक्षाः, सन्ति, दोलायां, दूरे, गृहाणि, पत्राणि, शाखाः, आनन्दम, अनुभवन्ति,
जलबिन्दव, पतन्ति, उल्लासस्य, वातावरणं, दृश्यते
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उन्होंने अपना सारा धार्मिक साहित्य हिन्दी में लिखा। उनका कहना था कि 'हिन्दी के द्वारा सारे भारत को एक सूत्र में पिरोया जा सकता है'। वे इस 'आर्यभाषा' को सर्वात्मना देशोन्नति का मुख्य आधार मानते थे। उन्होंने हिन्दी के प्रयोग को राष्ट्रीय स्वरूप प्रदान किया। वे कहते थे, 'मेरी आँखें उस दिन को देखना चाहती है जब कश्मीर से कन्याकुमारी तक सब भारतीय एक भाषा समझने और बोलने लग जायँ।'
अरविंद दर्शन के प्रणेता अरविंद घोष की सलाह थी कि 'लोग अपनी-अपनी मातृभाषा की रक्षा करते हुए सामान्य भाषा के रूप में हिन्दी को ग्रहण करें।
थियोसोफिकल सोसायटी (1875 ई०) की संचालिका ऐनी बेसेंट ने कहा था : 'भारतवर्ष के भिन्न-भिन्न भागों में जो
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