प्र.12 'प्रिंट मीडिया से क्या आशय है? उसके विभिन्न प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
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प्रिंट यानी मुद्रित माध्यम जनसंचार के आधुनिक माध्यमों में से सबसे पुराना है। आधुनिक युग का प्रारंभ छपाई के आविष्कार
से हुआ। चीन में सबसे पहले मुद्रण शुरू हुआ, परंतु आधुनिक छापेखाने का आविष्कार जर्मनी के गुटेनबर्ग ने किया। यूरोप में पुनर्जागरण ‘रेमेसाँ’ की शुरुआत में छापेखाने की प्रमुख भूमिका थी। भारत में ईसाई मिशनरियों ने सन् 1556 में गोवा में धार्मिक पुस्तकें छापने के लिए खोला था।
प्रिंट माध्यम की विशेषताएँ –
मुद्रित माध्यमों के तहत अखबार, पत्रिकाएँ, पुस्तकें आदि हैं। मुद्रित माध्यमों की सबसे बड़ी विशेषता या शक्ति यह है कि छपे हुए शब्दों में स्थायित्व होता है। उसे आप आराम से और धीरे-धीरे पढ़ सकते हैं। पढ़ते हुए उस पर सोच सकते हैं।
अगर कोई बात समझ में नहीं आई तो उसे दोबारा या जितनी बार इच्छा करे, उतनी बार पढ़ सकते हैं।
यही नहीं, अगर आप अखबार या पत्रिका पढ़ रहे हों तो आप अपनी पसंद के अनुसार किसी भी पृष्ठ और उस पर प्रकाशित किसी भी समाचार या रिपोर्ट से पढ़ने की शुरुआत कर सकते हैं।
मुद्रित माध्यमों के स्थायित्व का एक लाभ यह भी है कि आप उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और उसे संदर्भ की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं। मुद्रित माध्यमों की दूसरी बड़ी विशेषता यह है कि यह लिखित भाषा का विस्तार है। जाहिर है कि इसमें लिखित भाषा की सभी विशेषताएँ शामिल हैं। लिखित और मौखिक भाषा में सबसे बड़ा अंतर यह है कि लिखित भाषा अनुशासन की माँग करती है। बोलने में एक स्वतःस्फूर्तता होती है, लेकिन लिखने में आपको भाषा, व्याकरण, वर्तनी और शब्दों के उपयुक्त इस्तेमाल का ध्यान रखना पड़ता है। यही नहीं, अगर लिखे हुए को प्रकाशित होना है यानी ??? लोगों तक पहुँचना है तो आपको एक प्रचलित भाषा में लिखना पड़ता है ताकि उसे अधिक-से-अधिक लोग समझ पाएँ।
मुद्रित माध्यमों की तीसरी विशेषता यह है कि यह चिंतन, विचार के विश्लेषण का माध्यम है। इस माध्यम में आप गंभीर और गूढ बातें लिख सकते हैं, क्योंकि पाठक के पास न सिर्फ उसे पढ़ने, समझने और सोचने का समय होता है बल्कि उसकी योग्यता भी होती है। असल में, मुद्रित माध्यमों का पाठक वही हो सकता है जो साक्षर हो और जिसने औपचारिक या अनौपचारिक ??? के जरिए एक विशेष स्तर की योग्यता भी हासिल की हो।
मुद्रित माध्यमों की कमज़ोरी :
1. निरक्षरों के लिए मुद्रित माध्यम किसी काम के नहीं हैं। साथ ही, मुद्रित माध्यमों के लिए लेखन करने वालों को अपने पाठकों के भाषा-ज्ञान के साथ-साथ उनके शैक्षिक ज्ञान और योग्यता का विशेष ध्यान रखना पड़ता है। इसके अलावा उन्हें पाठकों की रुचियों और जरूरतों का भी पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
2. वे रेडियो, टी०वी० या इंटरनेट की तरह तुरंत घटी घटनाओं को संचालित नहीं कर सकते। ये एक निश्चित अवधि पर प्रकाशित होती हैं; जैसे अखबार 24 घंटे में एक बार या साप्ताहिक पत्रिका सप्ताह में एक बार प्रकाशित होती है। अखबार या पत्रिका में समाचारों या रिपोर्ट को प्रकाशन के लिए स्वीकार करने की एक निश्चित समय-सीमा होती है। जिसे डेडलाइन कहते हैं। कुछ अपवादों को छोड़कर समय-सीमा समाप्त होने के बाद कोई सामग्री प्रकाशन के लिए स्वीकार नहीं की जाती। इसलिए मुद्रित माध्यमों के लेखकों और पत्रकारों को प्रकाशन की समय-सीमा का पूरा ध्यान रखना पड़ता है।
3. इसी तरह मुद्रित माध्यमों में लेखक को जगह (स्पेस) का भी पूरा ध्यान रखना चाहिए। जैसे किसी अखबार या पत्रिका
के संपादक ने अगर आपको 250 शब्दों में रिपोर्ट या फ़ीचर लिखने को कहा है तो आपको उस शब्द सीमा का ध्यान रखना पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि अखबार या पत्रिका में असीमित जगह नहीं होती। साथ ही उन्हें विभिन्न विषयों और मुद्दों पर सामग्री प्रकाशित करनी होती है।
4. मुद्रित माध्यम के लेखक या पत्रकार को इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि छपने से पहले आलेख में मौजूद सभी गलतियों और अशुद्धियों को दूर कर दिया जाए, क्योंकि एक बार प्रकाशन के बाद वह गलती या अशुद्धि वहीं चिपक जाएगी। उसे सुधारने के लिए अखबार या पत्रिका के अगले अंक का इंतज़ार करना पड़ेगा।