Social Sciences, asked by ay9368123293, 1 month ago

प्र.17 भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में ऋण (साख) प्रदान करने के संदर्भ में स्वयं सहायता समूहों
की भूमिका का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।​

Answers

Answered by santoshkaumar16
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Answer:

जिन्हें अतिलघु साख कार्यक्रम भी कहा जाता है, ग्रामीण ऋण के संदर्भ में एक उभरती हुई घटना है। (क) स्वयं सहायता समूह ग्रामीण परिवारों में बचत को बढ़ावा देते हैं। एस. ... (ख) स्वयं सहायता समूहों द्वारा ऋण औपचारिक ऋण की तुलना में बेहतर है क्योंकि यह बिना कुछ गिरवी रखे ब्याज की एक सामान्य दर पर दिया जाता है।

Answered by rohitkumargupta
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HELLO DEAR,

ANSWER:-

भारत के गांव में कुल आबादी का 75% से भी अधिक आबादी का प्रमुख आधार खेती है।ऐसे ग्रामीणों की अनेक समस्याएं है। पहली की खेती के तरीके अन्य आय का साधन इनके पास नहीं होता दूसरा यह कि खेती में 5 से 6 महीने तक का समय लगता है इसलिए बजेसमय में ग्रामीणों को आए के लिए विशेष प्रयत्न करना पड़ता है और हम सकता पढ़ने नहीं पर यह अपनी जमीन वह गानों को गिरवी रखनी पड़ती है।स्वयं सहायता समूह समाज सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि वाले 10से 20 सदस्यों का एक शैक्षिक समूह है जो-*नियमित रूप से अपनी आमदनी में थोड़ी-थोड़ी पसंद करते हैं।*व्यक्तिगत राशि को सामूहिक विदेशी योगदान के लिए परस्पर सहमत रहते हैं।*सामूहिक निर्णय लेते हैं।*सामूहिक नेतृत्व के द्वारा आपसी मतभेद का समाधान करते है।* समूह द्वारा तय किए गए नियमों एवं शर्तों पर उपलब्ध कराते हैं।इस प्रक्रिया से गांव के अनेक गरीब लोगों की कम ब्याज पर लोन की सुविधा उपलब्ध होती है, यह अत्यंत लाभकारी होता है। क्योंकि इसके जरिए गरीब किसान एक बार में जादे पैसे लेकर धीरे धीरे उसे चूकाता रहता है।

THANKS.

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