Hindi, asked by Anonymous, 4 months ago

प्र.18. जनहित याचिका गरीबों की किस तरह मदद कर सकती है?
है
अथवा
उच्चतम न्यायालय के प्रमुख क्षेत्राअधिकारों को विस्तार से समझाइए।
प्र.19. किसी विधेयक को कानून बनने के लिये किन-किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है
अथवा
दल-बदल को विस्तार से समझाइए।
प्र.20. राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया का वर्णन कीजिए।
अथवा
देश में वित्तीय आपात काल पर एक नोट लिखिए।
प्र.21. सबंधिान की पांच प्रमुख विशेताएँ लिखिए।
अथवा
संसदीय शासन प्रणाली की विशेषताँ लिखिए।​

Answers

Answered by Anonymous
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1) न्याय वितरण की प्रक्रिया में जनहित याचिका की व्यवस्था एक महत्वपूर्ण कदम है | इन याचिकाओं के माध्यम से उन व्यक्तियों को न्याय दिलाया जा सकता है जो स्वंय अपने हित की रक्षा अज्ञानता के कारण या आर्थिक स्रोतों के अभाव के कारण असमर्थ हैं | ऐसे व्यक्तियों के हितों के लिए कुछ दयालु व्यक्ति या संस्थाए याचिका दायर करती है तथा आवश्यक प्रमाण व तथ्य प्रदान करती है तथा जनहित को प्राप्त करने का प्रयास करती है सबसे पहले इस दिशा में न्यायधीश पी.एन.भगवती ने इस प्रकार की याचिका स्वीकार करके पहल की जिससे गरीब व असहाय लोगों को न्याय दिलाने में जनहित याचिकाओं का महत्वपूर्ण योगदान रहा है | न्यायधीश पी.एन. भगवती ने सबसे पहले 1984 में बंधुआ मुक्ति मोर्चा बनाया | भारत सरकार केस में जनहित याचिका स्वीकार की जिससे अनेक मज़दूर को न्याय मिला

2) बिल को कानून में तब्दील करने के लिए दोनों सदनों में पास होना जरूरी हैं. दोनों सदनों में पास होने के बाद इसे राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए भेजा जाता है. राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद बिल एक्ट में तब्दील हो जाता हैl

3) जब किसी बड़े अधिकारी या प्रशासक पर विधानमंडल के समक्ष अपराध का दोषारोपण होता है तो इसे महाभियोग (Impeachment) कहा जाता है। इंग्लैंड में राजकीय परिषद क्यूरिया रेजिस के न्यासत्व अधिकार द्वारा ही इस प्रक्रिया का जन्म हुआ। समयोपरान्त जब क्यूरिया या पार्लिमेंट का हाउस ऑफ लार्ड्स तथा हाउस ऑफ कामंस, इन दो भागों में विभाजन हुआ तो यह अभियोगाधिकार हाउस ऑव लार्ड्स को प्राप्त हुआ। किन्तु जब से (1700 ई) न्यायाधीशों एवं मंत्रियों के ऊपर अभियोग चलाने का रूप अन्य प्रकार से निर्धारित हो गया है, महाभियोग का प्रयोग समाप्तप्राय है। इंग्लैंड में कुछ महाभियोग इतने महत्वपूर्ण हुए हैं कि वे स्वयं इतिहास बन गए। उदाहरणार्थ 16वीं शताब्दी में वारेन हेस्टिंग्ज तथा लार्ड मेलविले (हेनरी उंडस) का महाभियोग सतत स्मरणीय है।संयुक्त राष्ट्र अमरीका के संविधान के अनुसार उस देश के राष्ट्रपति, सहकारी राष्ट्रपति तथा अन्य सब राज्य पदाधिकारी अपने पद से तभी हटाए जा सकेंगे जब उनपर राजद्रोह, घूस तथा अन्य किसी प्रकार के विशेष दुराचारण का आरोप महाभियोग द्वारा सिद्ध हो जाए (धारा 2, अधिनियम 4)।। अमरीका के विभिन्न राज्यों में महाभियोग का स्वरूप और आधार भिन्न भिन्न रूप में हैं। प्रत्येक राज्य ने अपने कर्मचारियों के लिये महाभियोग संबंधी भिन्न भिन्न नियम बनाए हैं, किंतु नौ राज्यों में महाभियोग चलाने के लिये कोई कारण विशेष नहीं प्रतिपादित किए गए हैं अर्थात् किसी भी आधार पर महाभियोग चल सकता है। न्यूयार्क राज्य में 1613 ई में वहाँ के गवर्नर विलियम सुल्जर पर महाभियोग चलाकर उन्हें पदच्युत किया गया था और आश्चर्य की बात यह है कि अभियोग के कारण श्री सुल्जर के गवर्नर पद ग्रहण करने के पूर्व काल से संबंधित थे।इंग्लैंड एवं अमरीका में महाभियोग क्रिया में एक अन्य मान्य अंतर है। इंग्लैंड में महाभियोग की पूर्ति के पश्चात् क्या दंड दिया जायेगा, इसकी कोई निश्चित सीमा नहीं, किंतु अमरीका में संविधानानुसार निश्चित है कि महाभियोग पूर्ण हो चुकने पर व्यक्ति को पदभ्रष्ट किया जा सकता है तथा यह भी निश्चित किया जा सकता है कि भविष्य में वह किसी गौरवयुक्त पद ग्रहण करने का अधिकारी न रहेगा। इसके अतिरिक्त और कोई दंड नहीं दिया जा सकता। यह अवश्य है कि महाभियोग के बाद भी व्यक्ति को देश की साधारण विधि के अनुसार न्यायालय से अपराध का दंड स्वीकार कर भोगना होता हैl

4) भारत में दो सदनों – लोकसभा और राज्य सभा, वाली विधायिका है। सरकार के संसदीय स्वरूप में, विधायी और कार्यकारिणी अंगों की शक्तियों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है। भारत में, सरकार का मुखिया प्रधानमंत्री होता है। एकल नागरिकता– भारत का संविधान देश के प्रत्येक व्यक्ति को एकल नागरिकता प्रदान करता है।

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