प्र.2 चित्रं दृष्टया मंजूषायाः पदानि च प्रयुज्य वावयानि रचय (मंजूषा – भवन्ति, पंजरे, जन्तुशाला, गर्जति, कूर्दन्ति, दृष्ट्या, प्रसन्ना)
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mene iska uttar diya
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