Hindi, asked by akankshasaha0803, 10 months ago

प्र॰2- कविता में ‘वन’ व ‘ निद्रित कलियों’ किसके प्रतीक हैं ?

ध्वनि कक्षा आठ की कविता से

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Answered by shishir303
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कविता में ‘वन’ व ‘निद्रित कलियां’ आलस्य, प्रमाद व भोग विलास में डूबे युवाओं का प्रतीक हैं।

“ध्वनि” कविता ‘सूर्यकांत त्रिपाठी निराला’ द्वारा रचित कविता है। इस कविता के माध्यम से कवि ने मानव मन की भावनाओं को दर्शाने के लिये प्रकृति का सहारा लिया है।

अभी न होगा मेरा अंत,

अभी-अभी ही तो आया है,

मेरे वन में मृदुल बसंत

अभी न होगा मेरा अंत

हरे-हरे ये पात,

डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।

मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल-कर

फेरूंगा निद्रित कलियों पर

जगा एक प्रत्यूष मनोहर।

भावार्थ — इन पंक्तियों के माध्यम से कवि निराला जी ने अपनी आशावादिता प्रकट की है। वह इन पंक्तियों के माध्यम से यह सिद्ध करना चाहते हैं कि वह जीवन के कष्टों से घबराने वाले नहीं हैं। वे जीवन की दुख तकलीफों से डटकर लड़ने वाले व्यक्ति हैं। उनके जीवन में अभी अभी नया वसंत आया है और उनका जीवन का यह पल बेहद आनंददायक है, जिसका कभी भी अंत नहीं होने वाला है। जिस तरह बसंत के आगमन से पेड़ों में नई पत्तियां, नई डालियां आ जाती हैं। नए-नए फूल और कलियां खिलने लगती हैं और पेड़ अपना पुराना स्वरूप त्यागकर कर एक नवीन स्वरूप में आ जाता है, उसी तरह कवि के जीवन में भी बसंत रूप भी नवीनता का संचार हुआ है। कवि वसंत ऋतु की नवीनता में अपने स्वप्निल हाथों से निद्रित कलियों पर हाथ फेरकर एक नई सुबह का आवाहन करना चाहता है। अर्थात वे आलस्य के कारण सोये हुये युवाओं को जगाकर उनके जीवन में एक नयी ऊर्जा भी सुबह को लाना चाहता है।

Answered by ranjanasharma1210
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Answer:

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