( प्र.2- निम्न अवतरणों की संदर्भ व्याख्या कीजिए? (क) अब भी तुम लोग अपने को न सुधारो तो तुम्हीं रहो और वह सुधारना ऐसा भी होना चाहिए कि सब बात में उन्नति हो। धर्म में, घर के काम में, रोजगार में, शिष्टाचार में चाल-चलन में शरीर में, बल में समाज में युवा में वृद्ध में, स्त्री में पुरूष में, अमीर में गरीब में भारत वर्ष की सब अव्यवस्था, सब जाति, सब देश में उन्नति करो। सब ऐसी बातों को छोड़ो जो तुम्हारे इस पथ के कटक हों। चाहे तुम्हें लोग निकम्मा कहें या नंगा कहें, कृस्तान कहें या भ्रष्ट कहें, तुम केवल अपने देश की दीन दशा को देखों और उनकी बात मत सुनों
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अब भी तुम लोग अपने को न सुधारो तो तुम्हीं रहो और वह सुधारना ऐसा भी होना चाहिए कि सब बात में उन्नति हो। धर्म में, घर के काम में, रोजगार में, शिष्टाचार में चाल-चलन में शरीर में, बल में समाज में युवा में वृद्ध में, स्त्री में पुरूष में, अमीर में गरीब में भारत वर्ष की सब अव्यवस्था, सब जाति, सब देश में उन्नति करो।
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