प्र.-2 निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
और न कोई इस मंदिर का हो सकता अधिकारी
भारतवासी ही हम इसके रक्षक और पुजारी
भाई, भारत भूमि हमारी ।।
आज जो यह तुम देख रहे हो महल और अटारी
लगा रक्त का गारा इसमें तन की ईंट हमारी
तन-मन देकर खूब सजाई यह सुंदर फुलवारी
फूल सूंघ लो पर न तोड़ना मर्जी बिना हमारी
जगसर बिच यह नीलकमल सम विकसित मुनि मनहारी।
हम इसके मधु पीवनहारे कारे भ्रमर सुखारी
रत्नवती इस वसुंधरा के हम ही हैं भंडारी
इस यशुमति के पुत्र सदा हम गोप कृष्ण हलधारी।।
क. कवि ने मंदिर की संज्ञा किसे दी है और क्यों?
ख, ‘लगा रक्त का गारा इसमें तन की ईंट हमारी' पंक्ति से कवि का क्या आशय है?
ग‘तन -मन देकर खूब सजाई यह सुंदर फुलवारी'- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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sorry mate I don't know the answer
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you are mc bc cc lon bye lon
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