Hindi, asked by ujjwalgangwar, 1 month ago

प्र.2 प्रदूषित होते वातावरण से होनेवाली हानि यों पर अध्यापक और छात्र के मध्य होनेवाला सवं ाद लि खि ए​

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Answered by divyasavant14
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प्राचीन काल से ही पर्यावरण और विकास में घनिष्ठ संबंध पाया जाता है तथा इन दोनों को आपस में एक.दूसरे का पूरक माना जाता है। पर्यावरण में मुख्य रूप से पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, जीव-जन्तु, जल, वायु, मिट्टी, भूमि, मनुष्य, आदि को शामिल किया जाता है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर विकास किया जाए तो वह विकास सतत न होकर भावी पीढ़ियों के लिए घातक व विनाशकारी साबित होगा। अतः टिकाऊ विकास के लिए जल प्रदूषण, वायु प्रदूषण, मिट्टी प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण, मरूस्थलीकरण, औद्योगिकरण, नगरीयकरण, वन विनाश, ग्लोबल वार्मिंग, मिट्टी में बढ़ती लवणता व क्षारीयता की मात्रा, ओजोन परत का क्षरण, अम्लीय वर्षा आदि से बचने के लिए अथक प्रयास किए जाने चाहिए।

पर्यावरण प्रदूषण के विभिन्न आयाम

प्रदूषण की समस्या के कई प्रकार हैं। जैसे जल प्रदूषण की समस्याए वायु प्रदूषण की समस्याए मिट्टी का कटाव व उर्वरता का अभाव, वन विकासए जैव विविधता का अभाव, ग्लोबल वार्मिंग, ओजोन परत का क्षरण। इनके कारण कुछ प्रदूषण की समस्या अन्तर्राष्ट्रीयए राष्ट्रीय व राज्य स्तरों के अलावा अन्य छोटे स्तरों जैसे जिला व ग्राम स्तर पर भी व्याप्त है।

आधुनिक युग में प्रदूषण की समस्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसका मुख्य कारण तीव्र गति से जनसंख्या में वृद्धि होना है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या के लिए भरण.पोषण एवं जीवन की सामान्य सुविधाएं उपलब्ध कराने की दृष्टि से वैज्ञानिक व तकनीकी ज्ञान का उपयोग करते हुए संसाधनों का तीव्र गति से अन्धाधुन्ध दोहन किया जा रहा है। जिसके फलस्वरूप प्राकृतिक वातावरण में ग्लोबल वार्मिंगए ओजोन परत का क्षरणए अम्लीय वर्षा, प्रदूषण, औद्योगिकरण, नगरीयकरण इत्यादि अनेक समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। प्रदूषण की समस्या का निराकरण करना अति आवश्यक है।

कृषि पर प्रभाव : पर्यावरण में प्रदूषण की समस्या तथा तापमान बढ़ जाने के कारण समस्त विश्व का फसल चक्र प्रभावित होगा। जिससे खाद्यान्न संकट उत्पन्न हो जाएगा वायु में CO2 की मात्रा बढ़ने से प्रकाश संश्लेषण की दर बढ़ेगी जिससे पादपों की वृद्धि दर तीव्र होगी लेकिन इसका लाभ प्राप्त नहीं होगा।

वायु प्रदूषण : भारत में मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों में लकड़ी व गोबर जलाने से जो धुआं निकलता है उससे घर के अन्दर वायु प्रदूषण की समस्या हो जाती है। घर के बाहर वायु प्रदूषण ऊर्जा के उपयोगए वाहनों का धुआं निकलने व औद्योगिक उत्पादन के कारण फैलता है। वायु प्रदूषण की समस्या के बढ़ने से निमोनियाए ह्रदयरोग तथा श्वास सम्बन्धी रोग अधिक बढ़े हैं। कमजोर स्वास्थ्य वाले लोग इससे शीघ्र प्रभावित होते हैं। वायु प्रदूषण का असर श्वास नली के द्वारा फेफड़ों में इन्फेक्शन पर अधिक पड़ा है। इसमें ह्रदय गति रूकने से मनुष्य की मौत हो जाती है। भारत और नेपाल के अध्ययनों से पता चला है कि बायोमास के धुएं से श्वास नली की बीमारी बढ़ी है। गाड़ियों से धुआं निकलने से वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ी है। मुम्बई शहर में एक अनुसंधान से पता चला है कि पर्यावरण प्रदूषण के कारण तीन वर्ष से कम आयु के बच्चों के रक्त में सीसे की मात्रा ज्यादा पाई गई है। इसके परिणाम बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काफी नकारात्मक माने गये हैं।वायुमण्डल में कुछ प्रदूषित गैसों की मात्रा बढ़ जाने से पृथ्वी की उष्मा बाहर उत्सर्जित नहीं हो पाती है जिससे पृथ्वी के तापमान में निरन्तर वृद्धि हो रही है। इस प्रभाव को ग्रीन हाऊस प्रभाव कहते हैं। ग्रीन हाऊस प्रभाव उत्पन्न करने वाली मुख्य गैसें CO2 जलवाष्प, मिथेन, नाइट्रस ऑक्साइड आदि है। लेकिन CO2 प्रमुख हरित गृह गैस है

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Answered by nimishvarshney7
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Hello ujjwal me nimish

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