प्र.21 निम्नलिखित गद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
(क) धर्म की इस बुद्धिहीन दृढ़ता और देव दुर्लभ त्याग पर मन बहुत झुंझलाया।
अब दोनों शक्तियों में संग्राम होने लगा। धन ने उछल - उछल कर आक्रमण
करने शुरू किए। एक से पांच, पांच से दस, दस से पन्द्रह और पन्द्रह से बीस
हजार तक नौबत पहुँची, किंतु धर्म अलौकिक वीरता के साथ इस बहुसंख्यक
सेना के सम्मुख अकेला पर्वत की भाँति अटल अविचलित खड़ा था।
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और धन दोनों शक्ति का प्रतीक है धर्म की बुद्धि इंतजार था और देव दुर्लभ त्याग कहा गया आया क्योंकि धन को कोई तैयार नहीं सकते थे देवता भी तैयारी में थोड़ा असमंजस रखते हैं धर्म और धन दोनों एक दूसरे के विपरीत खड़े हैं धर्म से भक्ति नहीं की जा सकती और धर्म ना कोई व्यक्ति इस संसार में नहीं जी सकता और धर्म एक आधार है संस्कृति का और साहित्य का धर्म पर हमें जीना चाहिए
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