प्र.21 निम्नलिखित गद्यांश की व्याख्या संदर्भ प्रसंग सहित लिखिए
"वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है। फरी - कलिङ् पोङ् का रास्ता जब
नहीं खुला था, तो नेपाल ही नहीं हिन्दुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया
करती थीं। वह व्यापारिक ही नहीं सैनिक रास्ता भी था, इसलिए जगह
फौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं, जिसमें कभी चीनी पलटन रहा करती थी।"
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उतर :- दिया गया गद्यांश राहुल साकृत्यायन की प्रथम तिब्बत यात्रा से लिया गया है जो उन्होंने सन् 1929 - 30 में नेपाल के रास्ते की थी । उस समय भारतीयों को तिब्बत यात्रा की अनुमति नहीं थी l इसलिए उन्होंने यह यात्रा एक भिखमंगे के वेश में की थी । इसमें तिब्बत की राजधानी व्हासा की ओर जाने वाले दुर्गम रास्तों का वर्णन उन्होंने बहुत ही रोचक शैली में किया है । इस यात्रा वृत्तात से हमें उस समय के तिब्बती समाज के बारे में भी जानकारी मिलती है ।
व्याख्या :-
लेखक तिब्बत जाने वाले रास्ते का वर्णन करते हुए बताता है कि :-
- जिस रास्ते से वह जा रहा है , वह नेपाल से तिब्बत जाने का मुख्य रास्ता है ।
- जब फरी - कलिडपोङ् का रास्ता बंद था, तब सिर्फ नेपाल ही नहीं बल्कि हिन्दुस्तान की भी चीजें इसी रास्ते तिब्बत जाया करती थीं ।
- व्यापारियो के साथ साथ चीनी सैनिक भी इसी रास्ते से जाते थे l
- इसी वजह से रास्ते पर बीच बीच में फौजी चौकियाँ और किले बने हुए हैं l जिनमें किसी समय पर चीनी फौजियों की पलटन रहा करती थी l
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