Hindi, asked by ajaykaurav117, 1 month ago

प्र.24 मुंशी प्रेमचंद जी की साहित्यिक विशेषताएँ निम्न बिन्दुओं के आधार पर लिखिए-
(i) दो रचनाएँ
(ii) भाषा
शैली
(iii) साहित्य में स्थान​

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Answered by pandeydipanshu082
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Answer:

प्रेमचंद के साहित्य की विशेषताएँ

प्रेमचंद विषय सूची

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प्रेमचंद के साहित्य की विशेषताएँ

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पूरा नाम मुंशी प्रेमचंद

अन्य नाम नवाब राय

जन्म 31 जुलाई, 1880

जन्म भूमि लमही गाँव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश

मृत्यु 8 अक्तूबर 1936

मृत्यु स्थान वाराणसी, उत्तर प्रदेश

अभिभावक मुंशी अजायब लाल और आनन्दी देवी

पति/पत्नी शिवरानी देवी

संतान श्रीपत राय और अमृत राय (पुत्र)

कर्म भूमि गोरखपुर

कर्म-क्षेत्र अध्यापक, लेखक, उपन्यासकार

मुख्य रचनाएँ ग़बन, गोदान, बड़े घर की बेटी, नमक का दारोग़ा आदि

विषय सामजिक

भाषा हिन्दी

विद्यालय इलाहाबाद विश्वविद्यालय

शिक्षा स्नातक

प्रसिद्धि उपन्यास सम्राट

नागरिकता भारतीय

साहित्यिक आदर्शोन्मुख यथार्थवाद

आन्दोलन प्रगतिशील लेखक आन्दोलन

अन्य जानकारी प्रेमचंद उनका साहित्यिक नाम था और बहुत वर्षों बाद उन्होंने यह नाम अपनाया था। उनका वास्तविक नाम ‘धनपत राय’ था। जब उन्होंने सरकारी सेवा करते हुए कहानी लिखना आरम्भ किया, तब उन्होंने नवाब राय नाम अपनाया। बहुत से मित्र उन्हें जीवन-पर्यन्त नवाब के नाम से ही सम्बोधित करते रहे।

इन्हें भी देखें कवि सूची, साहित्यकार सूची

प्रेमचन्द की रचना-दृष्टि, विभिन्न साहित्य रूपों में, अभिव्यक्त हुई। वह बहुमुखी प्रतिभा संपन्न साहित्यकार थे। प्रेमचंद की रचनाओं में तत्कालीन इतिहास बोलता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में जन साधारण की भावनाओं, परिस्थितियों और उनकी समस्याओं का मार्मिक चित्रण किया। उनकी कृतियाँ भारत के सर्वाधिक विशाल और विस्तृत वर्ग की कृतियाँ हैं। अपनी कहानियों से प्रेमचंद मानव-स्वभाव की आधारभूत महत्ता पर बल देते हैं। ‘बड़े घर की बेटी,’ आनन्दी, अपने देवर से अप्रसन्न हुई, क्योंकि वह गंवार उससे कर्कशता से बोलता है और उस पर खींचकर खड़ाऊँ फेंकता है। जब उसे अनुभव होता है कि उनका परिवार टूट रहा है और उसका देवर परिताप से भरा है, तब वह उसे क्षमा कर देती है और अपने पति को शांत करती है। इसी प्रकार 'नमक का दारोग़ा' बहुत ईमानदार व्यक्ति है। घूस देकर उसे बिगाड़ने में सभी असमर्थ हैं। सरकार उसे, सख्ती से उचित कार्रवाई करने के कारण, नौकरी से बर्ख़ास्त कर देती है, किन्तु जिस सेठ की घूस उसने अस्वीकार की थी, वह उसे अपने यहाँ ऊँचे पद पर नियुक्त करता है। वह अपने यहाँ ईमानदार और कर्तव्यपरायण कर्मचारी रखना चाहता है। इस प्रकार प्रेमचंद के संसार में सत्कर्म का फल सुखद होता है। वास्तविक जीवन में ऐसी आश्चर्यप्रद घटनाएँ कम घटती हैं। गाँव का पंच भी व्यक्तिगत विद्वेष और शिकायतों को भूलकर सच्चा न्याय करता है। उसकी आत्मा उसे इसी दिशा में ठेलती है। असंख्य भेदों, पूर्वाग्रहों, अन्धविश्वासों, जात-पांत के झगड़ों और हठधर्मियों से जर्जर ग्राम-समाज में भी ऐसा न्याय-धर्म कल्पनातीत लगता है। हिन्दी में प्रेमचंद की कहानियों का एक संग्रह बम्बई के एक सुप्रसिद्ध प्रकाशन गृह, हिन्दी ग्रन्थ-रत्नाकर ने प्रकाशित किया। यह संग्रह ‘नवनिधि’ शीर्षक से निकला और इसमें ‘राजा हरदौल’ और ‘रानी सारन्धा’ जैसी बुन्देल वीरता की सुप्रसिद्ध कहानियाँ शामिल थीं।

Answered by franklalith
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