Hindi, asked by sonisiddhant039, 3 months ago

प्र.24 निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
बिका दिया घर द्वार
महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,
रह-रह आंखों में चुभती वह,
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती,
उजड़ गई जो सुख की खेती!​

Answers

Answered by RvChaudharY50
0

उतर :-

दिया गया पद्यांश सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है l इसमें कवि किसान की दुर्दशा का वर्णन कर रहा है ।

व्याख्या :- खेती ना होने के कारण कर्जा ले ले कर वह महाजन का कर्ज उतारते उतारते उसका घर भी बिक गया l महाजन ने ब्याज की एक कौड़ी भी नहीं छोड़ी l अब तो उसके बैलों की जोड़ी भी बिक गई । बैलों की वह जोड़ी उसे बहुत प्रिय थी इसलिए रह-रहकर यह बात उसकी आँखों में चुभ रही थी।

उसके पास एक सफेद गाय भी थी जिसे वह उजरी कहता था । उसका दूध वह स्वयं निकाला करता था । उसके भी बिक गई जो किसी को अपने पास फटकने नहीं देती थी । उसके सुख की खेती उजड़ गई। वह सारी स्थिति अभी भी उसकी आँखों में नाचती रहती है अर्थात् अभी भी उसकी सुखद स्मृति बनी हुई है । अब वह सारा सुख जाता रहा है ।

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Answered by shishir303
1

बिका दिया घर द्वार,  

महाजन ने न ब्याज की कौड़ी छोड़ी,  

रह-रह आँखों में चुभती वह,  

कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!  

उजरी उसके सिवा किसे कब  

पास दुहाने आने देती?  

अह, आँखों में नाचा करती,  

उजड़ गई जो सूख की खेती!

संदर्भ : यह पद्यांश सुमित्रानंदन पंत द्वारा रचित कविता ‘वे आँखें’ से लिया गया है। इस कविता के माध्यम से उन्होंने एक किसान की दुर्दशा का मार्मिक चित्रण किया है, जो जमीदार और महाजन के अत्याचारों से त्रस्त है।

व्याख्या : कवि कहते हैं कि भारत के स्वतंत्र होने के बाद भी किसानों की दुर्दशा में कोई कोई सुधार नहीं हो पाया। उन्हें निरंतर महाजनों, साहूकारों, जमीदारों द्वारा शोषित किया जाता रहा है।  

एक किसान ने ब्याज पर महाजन से ऋण लिया और उसे ऋण तथा ब्याज चुकाने के लिए अपने घर-बार तक को बेच देना पड़ा। महाजन ने किसान के ब्याज की छोटी कौड़ी तक ना छोड़ी। किसान को अपनी आँखों के सामने अपनी संपत्ति कुर्क होती देख बहुत देख हो रहा था। उसके बैलों की जोड़ी तक कुर्क हो गई जो उसे अत्यंत प्रिय थे और यह बात उसको बार-बार चुभ जाती थी।  

उसके पास उजरी नाम की एक सफेद गाय थी, जो उसे बेहद प्यारी थी। जिसका दूध वो स्वयं निकाला करता था और वह गाय उसके अलावा किसी को अपने पास फटकने नहीं देती थी। उस उजरी गाय भी को भी उसे बेच देना पड़ा। इस तरह किसान का घर-बार संपत्ति सब कुछ बिक गया। जमीदार और महाजन ने उसे कहीं का ना छोड़ा। उसके सुखों के दिन उजड़ गए और उसके सामने अपने सुखी दिनों की स्मृति बार-बार नाच उठती है।

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उजरी कौन थी? किसान से उसका भावनात्मक लगाव स्पष्ट कीजिये।

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ख) इस कविता में नारी के प्रति व्यक्त विचारों पर टिप्पणी लिखिए-  

ग) काव्यांश में प्रयुक्त दोनो मुहावरों का वाक्यों में प्रयोग कीजिए

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