प्र.24 निम्नलिखित पद्यांश की संदर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजि
बिका दिया घर द्वार,
महाजन ने न ब्याज की कौडी छोडी,
रह-रह आंखों में चुभती वह,
कुर्क हुई बरधों की जोड़ी!
उजरी उसके सिवा किसे कब
पास दुहाने आने देती?
अह, आँखों में नाचा करती,
उजड़ गई जो सुख की खेती!
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