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प्र.25 निम्नलिखित पद्यांश की सन्दर्भ प्रसंग सहित व्याख्या कीजिए
"मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई
जा के सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई
छांड़ि दयी कुल की कानि, कहा करिहैं कोई?
संतन ढिग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोयी
अंसुवन जल सींचि-सींचि, प्रेम-बेलि बोयी
अब त बेलि फैलि गयी, आणंद-फल होयी।
Answers
संदर्भ: प्रस्तुत पद्य- खंड ' मीरा के पद ' नामक कविता से उद्धृत है।
प्रसंग: मीरा जी की भावनाओ को इन पंक्तियों के माध्यम से दर्शाया गया है कि वो श्री कृष्ण से अनंत प्रेम करती हैं और उनके लिए वो हर दुख को उठा सकती हैं।
व्याख्या: मीरा जी कहती है कि मेरे सिर्फ श्री कृष्ण जी ही हैं।मेरा इस धरती पर कोई दूसरा नहीं है। जिनके सिर पर मोर पंख का मुकुट हैं। वही मेरे पति हैं।मीरा जी कृष्ण जी से इतना प्रेम करती है कि वो उनके लिए अपना कुल की मान मर्यादा को भी छोड़ देंगी ।वो कहती हैं कि जब तक वो कृष्ण जी से प्रेम करती हैं उनका कोई क्या कर सकता है।वो कृष्ण जी के प्रेम में संतो के साथ बैठ बैठ श्री कृष्ण जी के गुणगान करेंगी।और वो कृष्ण जी इतनी दीवानी हो गई हैं कि उन्हें कोई कुछ भी कहे उन्हें इस पर फ़र्क नही पड़ता है।वो कह रही हैं कि उन्होने अपने प्रेम रूपी बेल को अपने आंसू रूपी जल से सींचा हैं ,श्री कृष्ण की याद में।
और वो कह रही है कि अब जब ये प्रेम रूपी बेल फैल गई है ,तो मेरे जीवन में सब अच्छा ही होगा।
Answer:
I don't know you don't know you don't know