प्र. 3. (अ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पड़कर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए :
दूसरे दिन चिक को पहली पांति में सात तारे जगमगा उठे, सात रंग के। सतभैया तारा! अपने काम
में मगन सिरचन को खाने-पीने की सुध नहीं रहती। चिक में सुतली के फंदे डालकर उसने पास पड़े सूप पर
निगाह डाली - चिउरा और गुड़ का एक सूखा देला। मैंने लक्ष्य किया, सिरचन की नाक के पास दो रेखाएँ
उभर आई। मैं दौड़कर माँ के पास गया। "माँ, आज सिरचन को कलेवा किसने दिया है, सिर्फ चिउरा और
गुड़?"
माँ रसोईघर के अंदर पकवान आदि बनाने में व्यस्त यो। बोली, “अरी मंझली, सिरचन को बुंदिया
क्यों नहीं देतो?"
"बुदिया में नहीं खाता, काकी!" सिरचन के मुँह में चिउरा भरा हुआ था । गुड़ का टेला
एक किनारे पर पड़ा रहा, अछूता।
माँ की बोली सुनते हो मंझली भाभी की भौहें तन गई । मुट्ठी भर बंदिया सूप में फेंककर चली गई।
सिरचन ने पानी पोकर कहा, "मैझली बहूरानी अपने मैके से आई हुई मिठाई भी इसी तरह हाथ
खोलकर बांटती हैं क्या?" बस, मझलो भाभी अपने कमरे में बैठकर रोने लगी। चाची ने माँ के पास जाकर
कहा- "मुंह लगाने से सिर पर चढ़ेगा हो।... किसी के नैहर-ससुराल की बात क्यों करेगा वह?"
मंझली भाभी माँ की दुलारी बहू है। माँ तमककर बाहर आई- सिरचन, तुम काम करने आए हो.
अपना काम करो। बहुओं से बतकुट्टी करने की क्या जरूरत? जिस चीज की जरूरत हो, मुझसे कहो।"
सिरचन का मुंह लाल हो गया। उसने कोई जवाब नहीं दिया। बांस में टंगे हुए अधूरे चिक में फंदे
डालने लगा।
मानू पान सजाकर बाहर बैठकखाने में भेज रही थी। चुपके से पान का एक बोड़ा सिरचन को देतो
हुई इधर-उधर देखकर बोलो “सिरचन दादा, काम-काज का घर! पाँच तरह के लोग पाँच किस्म की बात
करेंगे। तुम किसी को बात पर कान मत दो।"
में नहीं दिया और में ही
(a) आकृति पूर्ण कीजिए:
2
॥ सिरचन को काम में मगन होकर खाने-पीने की यह न रहती।
(i) चिक में सुतलों के फंदे डालकर शिस्चन ने इस पर निगाह डाली।
ind
(iii) मानू यह सजाकर बाहर बैठकखाने में मेज रही थी।
(iv) अरी महली, सिरचन को यह क्यों नहीं देती।
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(iii) paan. (iv) bundiya (ii)sudh (I) chuda or gud ke dhele per
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