प्र.3.अपठित पद्यांश को पढ़कर निम्न प्रश्नों के
उत्तर दें-
यह देखिए, अरविंद-से शिशुवृंद कैसे सो रहे!
हैं नेत्र माता के इन्हें लख तृप्त कैसे हो रहे !
क्यों खेलना, सोना,रूदन करना,बिहँसना आदि
देता अपरिमित हर्ष उसको देखती वह इन्हें जब?
वह प्रेम है,वह प्रेम है,वह प्रेम है,वह प्रेम है,
है अचल जिसकी मूर्ति, हाँ-हाँ,अटल जिसका नेम है|
(क)शिशुओं की तुलना किससे की गयी है?
(ख)सोते बच्चे को देखकर माँ की आँखों में
कौन-सा भाव दिखाई पड़ता है?
(ग)माँ को असीम आनंद कब प्राप्त होता है?
(घ)संतान के प्रति माता-पिता के प्रेम को क्या
कहते हैं?
(ड.)तृप्त का अर्थ बताइए?
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Explanation:
शिशुओं की तुलना अरविंद से की गई है
सोते हुए बच्चे को देखकर माता को तृप्त का भाव अनुभव हो रहा है
जब उसका बच्चा फ्रेम्स के भाव में रहता है तब उसकी मां को असीम आनंद का अनुभव होता है
इस गद्यांश में तृप्त का मतलब आनंद से लिया जा रहा है
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