प्र. 3. कविता के आधार पर प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
पुर तें निकसी रघुबीर-बधू, धरि–धीर दए मग में डग द्वै ।
झलकी भरि भाल कनी जल की, पुट सूखि गए मधुराधर वै ।।
'फिरि बूझति हैं, " चलनों अब केतिक, पर्नकुटी करिहौं कित वै” ।
तिय की लखि आतुरता पिय की अँखियाँ अति चारू चलीं जल च्वै।।
क) कवि और कविता का नाम लिखिए।
ख) सीता ने राम से क्या पूछा?
ग) 'भाल' और 'पर्नकुटी' शब्दों के अर्थ स्पष्ट करें
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क) प्रस्तुत पद्यांश गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित है । इस कविता का शीर्षक है : ‘वन-पथ पर’ ।
ख) सीताजी ने अपने प्रियतम राम से पूछा- अब हमें कितनी दूर चलना है? कितनी दूरी पर पत्तों से बनी झोपड़ी बनायेंगे?
ग) 'भाल' का अर्थ है : पसीना और 'पर्नकुटी' का अर्थ है : पत्तों से बनाई गई झोंपड़ी
- इन पंक्तियों में अयोध्या से पैदल वन को जाने वाली सीताजी की थकावट का मार्मिक वर्णन किया गया है।
- राम, लक्ष्मण और सीता बड़े धैर्य के साथ श्रृंगवेरपुर से दो कदम आगे बढ़े ही थे कि सीताजी के माथे पर पसीने की बूंदें झलकने लगीं।
- राजमहल का सुख भोग रही अपनी पत्नी की ऐसी दशा देखकर श्री राम के सुन्दर नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगी।
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