प्र(3)निम्न काव्य पंक्तियों को पढ़कर अलंकार पहचान कर लिखिए (1)'भगवान ! भक्तों की भंयकर भूरि भीति भगाइये।" (2)"कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय वेखाये बौरय जग, या पाये बौराय।" (3) सोहत ओढ़े पीत पट स्याम सलोने गात मनहुँ नीलमनि सैल पर, आतप चरयौ प्रभात । (4) पानी परात को हाथ छुओ नही नैनन के जल सों पग धोए।।
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काव्य की शोभा में वृद्धि करने वाले साधनों को अलंकार कहते हैं। अलंकार से काव्य में रोचकता, चमत्कार और सुन्दरता उत्पन्न होती है। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अलंकार.को काव्य की आत्मा ठहराया है।
अलंकार–काव्य की शोभा बढ़ानेवाले तत्त्वों को ‘अलंकार’ कहते हैं।
अलंकार के भेद–प्रधान रूप से अलंकार के दो भेद माने जाते हैं–शब्दालंकार तथा अर्थालंकार। इन दोनों भेदों का संक्षिप्त विवेचन इस प्रकार है
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