प्र०3. पत्रकार और नेता के बीच का संवाद लिखिएनेता और पत्रकार के बीच में संवाद लेखन
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कामेडी विद आज का नेता
दोस्तों ये हैं नेता,, नहीं-नहीं आप लोगों को गलतफहमी हो गई है. आप लोग भी चकमा खा गए ना, मैं भी इन्हें देखकर चकमा खा गया था. ये हैं नौटंकी नेता. नहीं समझे… मैं समझाता हूँ. दोस्तों हुआ यूं कि ये बेचारे एम. एल. ए. बनाना चाहते थे पर क्या करें किसी ने इन्हें वोट ही नहीं दिया. और ये बेचारे इलेक्शन हार गए. पर इन्होंने हार नहीं मानी है इसलिए इन्होंने अपनी खुद की पार्टी बनाई है जिसका नाम है ख़ास आदमी पार्टी. इन्हें लगता है कि अरविन्द केजरीवाल की तरह ये भी एक दिन आम लोगों के दिल में जगह बना पाएंगे और इलेक्शन जीत जाएंगें. सीधी बात कहूं तो ये नकलची बन्दर हैं. देश में बढ़ रहे आलू और प्याज की कीमतों को लेकर इन्होंने यह आन्दोलन छेड़ा है। ये कहते हैं कि जब तक दाल और प्याज के दाम कम नहीं होंगे ये इस मेज से नीचे नहीं उतरेंगे। तो आइये दोस्तों लेते हैं मजा इस हास्य नाटक का, तो प्रस्तुत है ‘कामेडी विद नेता’
भाइयो और भाबीयो
मैं हूँ आज का नेता (तीन बार छींकता है) मैं भी मुख्यमंत्री बनाना चाहता हूँ इसलिए मैंने अपने लिए एक नई पार्टी बनाई है जिसका नाम है आज का आदमी पार्टी. दोस्तों हमारी पार्टी में आओगे तो आलू और प्याज सस्ते पाओगे. क्योंकि मैं ख़ास लोगों के लिए इस मेज पर खड़ा हूँ और तब तक नहीं उतारूँगा, जब तक आलू और प्याज के रेट कम नहीं होंगे.
ये धरना जारी रहेगा… चलता रहेगा…..
Hope it will help you!!!