प्र०4
निम्नलिखित पंक्तियों का भाव स्पट कीजिए :-
तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान ।
कहि रहीम, पर काम हित संपति संचहि सुजान ।।
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यहां पर कविवर रहीम कहते हैं कि जिसत तर पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।
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