Hindi, asked by ahadansr999, 6 months ago

प्र०4 प्रस्तुत गद्यांश से प्रश्नों के उत्तर दीजिए मानव जीवन की सार्थकता अपने आप को सुखी बनाने में नहीं ,औरों को सुख पहुंचाने में है| तुलसीदास ने कहा कि दूसरों की भलाई से बढ़कर धर्म नहीं तथा दूसरों के अपकार से बढ़कर नीचता नहीं |वह व्यक्ति परम धार्मिक है जो परोपकारी है दूसरों को सुख पहुंचाने के लिए ईश्वर को भी धरती पर अवतरित होना पड़ता है | (क) मानव जीवन की सार्थकता किसमें है ?

Your answer

(ख) तुलसीदास ने क्या कहा है?

Your answer

(ग) धार्मिक व्यक्ति कैसा होता है?

Your answer



Answers

Answered by deviguriya126
1

Answer:

1 मानव जीवन की सार्थकता अपने आप को खुश करने से नहीं बल्कि किसी दूसरे को खुश करने से हैं।

2 तुलसीदास ने कहा है दूसरों के उपकार से बढ़कर धर्म नहीं ,और दूसरों के अपकर से बढ़कर नीचता नहीं।

3। धार्मिक व्यक्ति वह है जो दूसरों के परोपकार में विश्वास रखता है लोगों को सुख देता है।

Similar questions