Social Sciences, asked by pappan57, 2 months ago

प्र.5
सही जोडी बनाइये
पंजाब
1 अप्रैल 2000
(अ)
(1)
माउंट एवरेस्ट
(ii) पाँच नदियों का प्रदेश
(iii) अन्नपूर्णा योजना
(iv) पं. जवाहरलाल नेहरु
(v) वयस्क मताधिकार
भारत के प्रथम प्रधानमंत्री
18 वर्ष
8848 मीटर​

Answers

Answered by safiyachikkumbi8
1

Answer:

Explanation:

what do I 8AM do I need 8AM

Answered by 5ayuvrajharshvardhan
0

Answer:

Explanation:

फैजाबाद। जिले से होकर बहने वाली पांच नदियां सूखकर विलुप्त हो रही हैं। अब इसे सिंचाई विभाग ने मनरेगा के धन से पुनर्जीवित करने की योजना बनाई है। इससे लोगों को बढ़ते प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी और जल संरक्षण से फायदा होगा। नदियों के सूखना पशु-पक्षियों के लिए कष्टकर साबित हो रहा है। गर्मी में इनमें धूल उड़ती है। जबकि सीमांत इलाके को छूती हुई बह रही गोमती में भी पानी तलहटी में ही रहता है। केवल सरयू की धारा में जान हमेशा बनी रहती है, मगर पानी कम होने से घाटों से काफी दूर हो जाती है।

जिले में कई नदियों की जीवन-धारा (प्रवाह) के निशां ही सिर्फ शेष है, उसका ‘प्राण तत्व’ सूख गया है। गोमती नदी जिले को छूती निकल जाती है, जबकि तिलोदकी गंगा (तिलैय्या), तमसा, मड़हा, बिसुही और कल्यानी की तलहटी में ही पानी दिख रहा है। तमसा नदी की महत्ता पर संत तुलसीदास ने लिखा ‘बालक वृद्ध बिहाइ गृह, लगे लोग सब साथ। तमसा तीर निवास किय, प्रथम दिवस रघुनाथ।’ वनगमन के समय राम ने जहां रात्रि निवास किया, वह तमसा अपने अस्तित्व को बचाने के लिए संघर्ष कर रही है। कहा जाता है कि तमसा मवई के लखनीपुर गांव के माडंव्य ऋषि की तपस्या का परिणाम है। तमसा की बर्बादी के पीछे मिलों का कचरे का योगदान रहा है। तमसा के किनारे सोनेडाड़, अजना, अरती, घूरीटीकर, डड़वा, मठिया, करौंदी, सुबटहा, दहलवा, ऐमीघाट, तारापुर, कुम्हियां, बीरमपुर, ककरहा, अमौनी, धोया, मठा, अमारी, गंगापुर, सोनबरसा, गुरौली, रूपापुर, बेनवा, दूधनाथ धाम, गजनपुर, चाचिकपुर आदि गांव स्थित है। कभी तमसा की लहरें लहराती रहती थी लेकिन अब तो यह सूख गई है।

अयोध्या में तिलोदकी मेला लगता जरूर है लेकिन सोहावल के पंडितपुर से निकली तिलोदकी गंगा नदी का वजूद ही मिट गया। तिलोदकी का उद्भव ऋषि रमणक का साधना केंद्र से है जो पंडितपुर में है। मड़हा, बिसुही और कल्यानी की धारा भी सूख गई है। अब यह नदियां बरसाती हो गई हैं। इन नदियों के किनारे के गांवों में इन्ही से सभ्यता का विकास हुआ। बुजुर्ग बताते हैं कि आज के 40-50 साल पहले यह लोगों की जीवन रेखा थी। पीने के पानी के साथ ही जानवरों का पानी, स्नान और खेती इन्हीं के भरोसे होती थी लेकिन अब इन नदियों के असमय सूखने से पानी का जलस्तर नीचे चला जाता है। इसके कारण गर्मियों में लोगों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। ट्यूबवेल भी पानी नहीं देते हैं। अतिक्रमण के चलते यह सकरी दर सकरी हो रही है लेकिन इन पर किसी की निगाह नहीं है।

अभी ऐसा कोई शासनादेश नहीं आया है, लेकिन जिले स्तर पर तिलोदगी गंगा और तमसा को पुनर्जीवित कर जलस्रोत के रूप में विकसित करने का प्लान तैयार कराया है। इस पर शीघ्र मनरेगा से कार्रवाई शुरू की जाएगी।-रवीश गुप्त, मुख्य विकास अधिकारी

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