प्र. 5. "उन्हें राजकवि का आसन प्राप्त होगा उस व्यक्ति को, जिसे उसके निकट के लोगों ने आज तक समझने का प्रयत्न नहीं किया। जिसे घर में और घर से बाहर केवल लांछना और प्रताड़ना ही मिली है।" (पृष्ठ 24) प्रस्तुत कथन से क्या तात्पर्य है? इससे वक्ता के चरित्र के किस गुण का पता चलता है? स्पष्ट कीजिए।
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उस व्यक्ति को, जिसे उसके निकट के लोगों ने आज तक समझने का प्रयत्न नहीं किया। जिसे घर में और घर से बाहर केवल लांछना और प्रताड़ना ही मिली है।... अब तो तुम विश्वास करती हो माँ, कि मेरी भावना निराधार नहीं है।
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