प्र.7
1789ई की फ्रांस की क्रांति का तात्कालिक कारण क्य
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(2) सामाजिक कारण
फ्रांस की क्रांति का एक महत्वपूर्ण कारण सामाजिक असमानता थी। मेडलिन के अनुसार, " 1789 इसवी की क्रांति का विद्रोह तानाशाही से अधिक समानता के प्रति थी।" फ्रांस की क्रांति के समय फ्रांस में समाज में अत्यधिक असमानता व्याप्त थी। समाज दो वर्गों में विभाजित था विशेषाधिकार वाले वर्ग में कुलीन लोग और पादरी थे। जहां एक और इन्हें विशेषाधिकार प्राप्त थे वहीं दूसरी ओर वह करों आदि से विमुक्त थे यह फ्रांस में प्रसिद्ध था।" सरदार लड़ते हैं पादरी प्रार्थना करते हैं जनता व्यय का भार उठाती है।"
अनुमान लगाया जाता है कि करों को देने के पश्चात फ्रांस के किसान के पास अपनी उपज का कुल 20% भाग शेष रह जाता था। फ्रांस के कुछ भागों में किसान इन करो को चुकाने के पश्चात किसी तरह का निरहुआ कर लेते थे परंतु शेष भाग में उनकी दशा अत्यंत शोचनीय थी। अच्छी से अच्छी फसल के उपरांत भी वे अपना निर्वाह करने में स्वयं को सामर्थ पाते थे। कहा जाता है कि फ्रांस में जनता का 9/10 भाग भूख से और 1/10 भाग अधिक खाने से मरा। '
यद्यपि रिशलू ने सत्र में शताब्दी में नोबल्स की राजनीतिक शक्तियां समाप्त कर दी थी किंतु इसे कुलीन वर्ग में साधारण और के लिए और भी घृणा उत्पन्न हो गई। मैरियट ने इस विषय में लिखा है, "1789 ईसवी की क्रांति के लिए रिशलू बहुत अधिक उत्तरदाई था।"
मध्यम वर्ग के लोग भी फ्रांस के समाज के साधारण वर्ग में शामिल थे। इस श्रेणी के अंतर्गत प्रोफेसर, वकील, साहूकार व व्यापारी, न्यायधीश मजिस्ट्रेट आदि थे। यह धनी भी थे और योग्य भी तथा संसार के कई भागों में घूम चुके थे, अतः पुराने राज्य द्वारा दी गई नीची सामाजिक स्थिति को स्वीकार करने के लिए तैयार ना थे। इसी वर्ग के लोग ही फ्रांस की जनता के द्वारा पुराने राज्य के विरुद्ध किए गए विद्रोह में उसके नेता बने।
(3) आर्थिक कारण
फ्रांस की दयनीय आर्थिक अवस्था फ्रांस की क्रांति का प्रमुख कारण थी। का गया है कि फ्रांस की क्रांति को शीघ्र लाने का उत्तरदायित्व आर्थिक कारणों पर था और दार्शनिक विद्वानों द्वारा तैयार किया गया बारूद आर्थिक कारणों के द्वारा भड़काया गया था। लुई 14 वे के युद्ध ने देश की आर्थिक व्यवस्था को अत्याधिक सोचनीय बना दिया था। जिस समय उसकी मृत्यु हुई उस समय देश की आर्थिक व्यवस्था अत्यंत खराब थी।
यद्यपि उसने लुई 15 वे को आर्थिक व्यवस्था सुधारने और युद्ध से बचने का परामर्श दिया था किंतु लुइ 15वें ने उसके परामर्श पर विशेष ध्यान ना दिया अभी तो उसने बहुत से युद्ध में भाग लिया। राजमहल और प्रेमिकाओं पर भी बहुत रुपया नष्ट किया। जब लुइ सोलवा फ्रांस की गद्दी पर बैठा तो उस समय फ्रांस का दिवाला निकालने वाला था परंतु फिर भी फ्रांस ने अमेरिका के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया। इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि अमेरिका के स्वतंत्रता युद्ध में भाग लेने से ही फ्रांस में व आर्थिक संकट उत्पन्न हुआ जो आगे चलकर फ्रांस की क्रांति का कारण बना।
फ्रांस की अर्थव्यवस्था शोचनीय थी। कुलीन वर्ग के लोग पादरी राज्य के कोष में कुछ भी योगदान नहीं देते थे। अतः आश्चर्य नहीं कि करो का सारा बोझ साधारण जनता पर पड़ता था। यह अपने में ही असंतोष उत्पन्न करने का कारण था। राष्ट्रीय भी बहुत अधिक बढ़ गया था। सरकार की आय उसके द्वारा दी जाने वाली राष्ट्रीय ऋण के ब्याज की राशि से भी कम थी अतः सरकार के लिए बजट को संतुलित रखना असंभव ही था। एडम स्मिथ तथा आर्थर यंग ने फ्रांस को आर्थिक गलतियों का अजयबघर बताया, सरकार ने पेरिस की सांसद के विरुद्ध कार्यवाही की और उसको समाप्त कर दिया. इससे जनता में अत्यधिक आक्रोश उत्पन्न हुआ और सैनिकों ने जजों को गिरफ्तार करने से इंकार कर दिया। जनता ने स्टेटस जनरल के अधिवेशन की मांग की। इन परिस्थितियों में राजा को झुकना पड़ा और उसने 175 वर्षों (1614-1789ई.) के बाद स्टेटस जनरल के निर्वाचन के लिए आदेश जारी किए। इस प्रकार फ्रांस की 1789 ईस्वी की क्रांति प्रारंभ हुई।