प्र.7
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निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए
बेटे के क्रिया कर्म में तूल नहीं किया, पतोहू से आग दिलाई उसकी। किंतु ज्योंहि श्राद्ध की अवधि पूरी हो
गई, पतोहू के भाई को बुलाकर उसके साथ कर दिया, यह आदेश देते हुए कि इसकी दूसरी शादी कर देना।
उनकी जाति में पुनर्विवाह कोई नई बात नहीं, किंतु पतोहू का आग्रह था वह यही रहकर भगत जी की
सेवा-बंदगी में अपने वैधव्य के दिन गुजार देगी। लेकिन भगत जी का कहना था - नहीं, यह अभी जवान
है, वासनाओं पर बरबस काबू रखने की उम्र नहीं है इसकी। मन मतंग है, कही इसने गलती से नीच-ऊँच
में पैर रख दिए तो। नहीं-नहीं तू जा। इधर पतोहू रो-रोकर कहती - मैं चली जाँऊगी तो बुढापे में कौन
आपके लिए भोजन बनाएगा, बीमार पड़े तो कौन एक चुल्लु पानी भी देगा? मैं पैर पड़ती हूँ, मुझे अपने चरणों
से अलग नहीं कीजिए। लेकिन भगत का निर्णय अटल था। तू जा नही तो, मैं ही घर छोड़कर चल दूंगा-
यह थी उनकी आखिरी दलील और इस दलील के आगे बेचारी की क्या चलती?
1. बालगोबिन ने बेटे का क्रिया-कर्म किस प्रकार करवाया?
2. श्राद्ध की अवधि पूरी होने पर बालगोबिन ने क्या किया?
3. पतोहू की क्या प्रतिक्रिया थी?
4. भगत ने क्या धमकी दी? उसका क्या परिणाम निकला?
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