Hindi, asked by sanjanaudasi, 1 month ago

प्र.9
'मैं नहीं चाहता चिर सुख, मैं नहीं चाहता चिर दुख,
सुख-दुख की आँख मिचौली में जीवन खोले अपना मुख।
उत्तर
konsa Rass hai ?? ​


mp110076: indian
mp110076: I am bad
mp110076: iek-gsnh-hay
VISHALKUMARV22: हां हम भारतीय है
VISHALKUMARV22: आप बुरे हैं
mp110076: yes
mp110076: boy
VISHALKUMARV22: बचपन से??
mp110076: nhi
VISHALKUMARV22: तो फिर किसने बुरा बनाया

Answers

Answered by pjdipke298gmailcom
2

दी गई पंक्तियों में शांत रस है।

कविवर सुमित्रानंदन पंत जी कहते हैं कि मुझे अपने जीवन में ना तो अत्यधिक सुख की कामना है ना ही अत्यधिक दुख की। जीवन में तो सुख और दुख दोनों का संगम होना चाहिए। सुख और दुख दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं जिस तरह छोटे बच्चे आंख मिचौली के खेल के समय कुछ पल के लिए आंखों को बंद करके फिर आंखें खोल देते हैं उसी प्रकार जीवन के खेल में सुख और दुख कुछ समय के लिए ही होते हैं कहने का अर्थ है कि मानव के जीवन में कुछ समय सुख है और कुछ समय के लिए दुख तभी तो जीवन खेल की तरह मजेदार होगा अन्यथा जीवन कठिन होगा। जीवन में सुख और दुख का मीठा मिलाप होना आवश्यक है तभी हमें जीवन जीने का अर्थ पता चलता हैतथा सुख और दुख के महत्व को हम समझ पाते हैं।

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