प्र. २ आ] -निम्नलिखित कविता पढ़कर सूचनानुसार कार्य कीजिये : (गुण -४)
युयुत्सु होती होगी वधिकों की मुत्ति
प्रभु के मरण से
किंतु रक्षा कैसे होगी अधे युग में
मानव भविष्य की
प्रभु के इस कायर मरण के बाद?
अश्वत्थामा कायर मरण?
मेरा था शत्रुबह
लेकिन कहूँगा मैं
दिव्य शातिकाईथी
उसके स्वर्ण मस्तक पर ।
वृद्ध बोले अवसान के क्षणों में प्रभु-
"मरण नहीं है ओव्याध।
मात्र रूपातरण है यह
सबका दायित्व लिया मैंने अपने ऊपर
अपना दायित्व सौंप जाता हूँ मैं सबको
अब तक मानव भविष्य को मैं जिलाता था
लेकिन
में मेरा एक अश
निष्क्रिय रहेगा, आत्मघाती रहेगा
और विगलित रहेगा
संजय, युयुत्सु, अशत्थामा की भाँति
क्योंकि इनका दायित्व लिया है मैने।"
क) समझकर लिखिए। (२ अंक)
1) प्रभू अंत समय इससे बात करे रहे थे।'
शिकारी से
Oवृद्ध ने
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