प्र.१ आ) निम्नलिखित पठित गद्यांश पढकर दी गई सूचनाओं के अनुसार कृतियाँ कीजिए। टाँग से ज्यादा फिक्र मुझे उन लोगों की हुई जो हमदर्दी जताने मुझसे मिलने आएँगे। ये मिलने-जुलने वाले कई बार इतने अधिक आते हैं और कभी-कभी इतना परेशान करते हैं कि मरीज का आराम हराम हो जाता है, जिसकी मरीज को खास जरूरत होती हैं। जनरल वार्ड का तो एक नियम होता है कि आप मरीज को एक निश्चित समय पर आकर ही तकलीफ दे सकते हैं किंतु प्राइवेट वार्ड, यह तो एक खुला निमंत्रण है कि “है मेरे परिचितो, रिश्तेदारो, मित्रो! आओ, जब जी चाहे आओ, चाहे जितनी देर रूको, समय का कोई बंधन नहीं। अपने सारे बदले लेने का यहीं वक्त है। बदले का बदला और हमदर्दी की हमदर्दी। मिलने वालों का खयाल आते ही मुझे लगा मेरी दूसरी टाँग भी टूट गई। मुझझे मिलने के लिए सबसे पहले वे लोग आए जिनकी टाँग या कुछ और टूटने पर मैं कभी उनसे मिलने गया था, मानो वे इसी दिन का इंतजार कर रहे थे कि कब मेरी टाँग टूटे और कब वे अपना एहसान चुकाएँ। इनकी हमदर्द में यह बात खास छिपी रहती है कि देख बेटा वक्त सब पर आता है। १) उत्तर लिखिए : १) लेखक को उनकी फिक्र हुई २) मरीज के अराम हराम होने का कारण
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१) टाँग से ज्यादा फिक्र मुझे उन लोगों की हुई जो हमदर्दी जताने मुझसे मिलने आएँगे। २) ये मिलने-जुलने वाले कई बार इतने अधिक आते हैं और कभी-कभी इतना परेशान करते हैं कि मरीज का आराम हराम हो जाता है।
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