Hindi, asked by Mayank362100, 13 hours ago

पूर्भ चलने के बटोह , बाट की पहचान कर ले!
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Answered by Divyani027
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भावार्थ -

लेखक कहते हैं कि राहगीर अर्थात छात्र अपने रास्ते को चलने से पहले उसका चुनाव कर लो, पुस्तकों में यह नहीं बताया गया है कि तुम्हें किस राह पर चलना होगा अर्थात तुम किसी कहानी के माध्यम से नहीं जान सकते कि तुम्हें इस राह पर चलना है, और इसके बारे में भी तुम्हें नहीं पता है कि आगे जाने पर तुम्हें क्या मिलेगा अर्थात मुश्किलें कितनी मिलेगी यह दूसरों ने भी नहीं बताया है, बहुत सारी राहगीर होंगे जो कि तुम्हारे चुने हुए रास्ते पर चले होंगे परंतु उनका पता नहीं कि वह अपने मंजिल को पा सके या नहीं, परंतु कुछ महान लोग ऐसे रहे जो कि अपने पैरों की निशानी अर्थात अपने कुछ सीखो को छोड़कर गए हैं इस राह पर, और यह सीख चुप होकर भी हमें बहुत कुछ समझ आती है, तुम उनकी इस सीख के बारे में पता करो और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ो, हे छात्र अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने से पहले अपने लक्ष्य का चुनाव करो।

यार तुम्हें पता नहीं है कि रास्ते में कितनी नदी की तरह बाहर पर्वतों की तरह चढ़ाव और गड्ढे की तरह कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, यह भी पता नहीं है कि तुम्हें अपने राह में फूलों की तरह सुंदर वन अर्थात खुशियां मिलेंगी या फिर कांटों की तरह मुश्किलों का सामना करना होगा, तुम्हारी राख कब खत्म हो जाएगी अभी पता नहीं है अर्थात तुम कब अपने लक्ष्य को प्राप्त करोगे या अभी पता नहीं है, कौन मित्र तुम्हारा साथ छोड़ देंगे अर्थात हार मान लेंगे और कौन तुम्हारा साथ देंगे यह भी पता नहीं, राम में चाहे कितनी भी मुश्किलें क्यों ना आए तुम यह निश्चय कर लो कि तुम्हें इन्हें पार करना है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है, हे छात्र तुम अपनी लक्ष्य की ओर बढ़ने से पहले अपने मंजिल की पहचान कर लो।

आशा है कि या उत्तर आपकी मदद करेगा

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