प्राचीन अनुबंधन किस प्रकार साहचर्य द्वारा अधिगम को प्रदर्शित करता है?
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Explanation:
सीखने के वक्र अभ्यास द्वारा सीखने की मात्रा, गति और प्रगति ... क्रिया-प्रसूत अनुबंधन का दूसरा नाम है(a) नैमित्तिक अनुबंधन (b) प्राचीन .
प्राचीन अनुबंधन साहचर्य द्वारा अधिगम को प्रदर्शित करता है, इस प्रकार के अधिगम का अध्ययन सर्वप्रथम ईवान पी. पावलव द्वारा किया गया | पावलव का प्राचीन अनुबंधन का मुख्य उद्देश्य पाचन क्रिया की शारीरिक क्रियात्मक का अध्ययन करना था| उन्होंने अपने अध्ययन के समय देखा की जिन कुतो पर वह प्रयोग कर रहे थे |
कुते अपने भोजन खाली प्लेट को देखते ही लार स्त्राव करने लगे |
हम सब जानते है की भोजन और मुह में कुछ होने पर लार आना यह स्वाभाविक अनुक्रिया होती है|
इस प्रक्रिया को विस्तार से समझाने के लिए एक प्रयोग किया| उन्होंने फिर से कुत्तों पर प्रयोग किए|
पहले चरण में कुते को एक बोक्स में बंद कर दिया , और कुछ दिनों तक ऐसे ही किया | बार-बार इस प्रक्रिया को किया गया| कुते के जबड़े में एक नली फिट कर दी और उसी नली से होते हुए उस लार को एक गिलास में एकत्र किया |
दूसरे चरण में कुते को भूखा रखने के बाद बोक्स में कस दिया गया| नली का एक सिरा और दूसरा शीशे के जार में रखा गया | इस के बाद घंटी बजाई गई और उस के बाद तुरंत उसे खाने के लिए भोजन दिया | अगले कुछ दिनों तक ऐसा किया गया |
इस प्रयास के बाद कुत्ते को घंटी बजाने के बाद खाना नहीं दिया | कुता भोजन की आशा में घंटी की आवाज़ सुनने के बाद लार टपकता रहा क्योंकि घंटी और भोजन के साथ सम्बध था |
इससे समझ आता है जब भी भोजन दिया हटा वह लार टपकाने लगता है| इस प्रकार के अनुबंधन को प्राचीन अनुबंधन कहते है|