प्राचीन भारतीय समाज कितने वर्गों में विभाजित था ?
(A)
तीन
(B)
(C)
पाँच
(D)
Answers
Answer:
वर्ण शब्द का प्रयोग रंग के अर्थ में होता था और प्रतीत होता है कि आर्य लोग गौर वर्ण के थे और मूलवासी लोग काले रंग के थे। सामाजिक वर्ग - विन्यास में रंग से परिचायक चिह्न का काम लिया गया , लेकिन रंगभेद दर्शी पश्चिमी लेखकों ने रंग की धारणा को बढ़ाचढ़ा कर प्रस्तुत किया है। वास्तव में समाज में वर्गों के सृजन का सबसे बड़ा कारण हुआ आर्यों की मूलवासियों पर विजय। आर्यों द्वारा जीते गए दास और दस्यु जनों के लोग दास और शूद्र हो गए। जीती गयी वस्तुओं में कबीले के सरदारों और पुरोहितों को अधिक हिस्सा मिलता था और वे सामान्य लोगों को वंचित करते हुए अधिकाधिक सम्पन्न होते गए , इससे कबीले में सामाजिक असमानता का सृजन हुआ। धीरे - धीरे कबायली समाज तीन वर्गों में बंट गया - योद्धा , पुरोहित और सामान्य लोग ( प्रजा ) । चैथा वर्ग , जो शूद्र कहलाता था , ऋग्वेद काल के अन्त में दिखाई पड़ता है , क्योंकि इसका सर्वप्रथम उल्लेख ऋग्वेद के दशम् मंडल में है , जो सबसे बाद में जोड़ा गया है। वर्ण शब्द का प्रयोग आजकल हम अपने दैनिक जीवन मे कर सकते है।
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