Hindi, asked by azamkhanschool, 7 hours ago

प्राचीन ग्रंथों में महायज्ञ की संख्या बताई गई है​

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Answered by purushottamch01
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यह यज्ञों के अलावा विष्णू यज्ञ , शतचंडी यज्ञ , रुद्र यज्ञ ,गणेश यज्ञ ,आदी किये जाते है ये सभी परंपरा मे है

Answered by chandujnv002
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Answer:

प्राचीन ग्रंथों में महायज्ञ की संख्या की विभिन्न उल्लेख हैं। वेदों और पुराणों में यज्ञ का विस्तृत वर्णन होता है और उनमें कई यज्ञों के बारे में वर्णन है। यहां कुछ महत्वपूर्ण यज्ञों का उल्लेख है:

  • सप्तदशी महायज्ञ: इस यज्ञ में सप्तदशी मन्त्र का जप किया जाता था। इस यज्ञ का उल्लेख अथर्ववेद में होता है।

  • अश्वमेध यज्ञ: यह एक प्रमुख यज्ञ है जो वेदों और पुराणों में वर्णित है। इस यज्ञ में एक घोड़ा छोड़ा जाता था जो दौड़ता था और फिर उसे पकड़ने के लिए जोरदार प्रयास किया जाता था।

  • सोमयाग यज्ञ: इस यज्ञ में सोम रस के उपयोग से हवन किया जाता था। इस यज्ञ का उल्लेख वेदों में होता है।

  • राजसूय यज्ञ: इस यज्ञ का मुख्य उद्देश्य राज्य के समस्त राजाओं को सम्मानित करना था। इस यज्ञ का वर्णन महाभारत और रामायण में भी है।

ये कुछ प्रमुख यज्ञ हैं, जो प्राचीन ग्रंथों में वर्णित हैं।

Explanation:

'प्राचीन ग्रंथ' शब्द भारतीय संस्कृति और धर्म के उन ग्रंथों को संदर्भित करता है, जो प्राचीन काल में लिखे गए थे। इन ग्रंथों का महत्व भारतीय संस्कृति और धर्म के अध्ययन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

प्राचीन ग्रंथों में वेद, उपनिषद, रामायण, महाभारत, पुराण, सूत्र ग्रंथ आदि शामिल होते हैं। इन ग्रंथों में हिंदू धर्म, जैन धर्म, बौद्ध धर्म, सिख धर्म और इस्लाम धर्म के संबंध में व्यापक ज्ञान होता है।

वेदों के अलावा, उपनिषदों में गहन ज्ञान होता है, जो मुख्य रूप से वेदों के विस्तार और व्याख्या हैं। महाभारत और रामायण इतिहास की अत्यंत महत्वपूर्ण रचनाएं हैं जो भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतिनिधित्व करती हैं। पुराणों में भगवान के विभिन्न अवतारों, तत्त्वों और कथाओं का वर्णन होता है। सूत्र ग्रंथों में विभिन्न विषयों के बारे में संक्षिप्त ज्ञान होता है।

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